मुश्किल घड़ी में परिवार को शक्ति स्वरूपा का आशीर्वाद
कोरोना काल में शक्ति स्वरूपा महिलाएं मुश्किल में फंसे परिवार के जीवन का आधार बन रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की कुशल महिलाएं जीवन रक्षक मास्क बनाकर कोविड 19 के खिलाफ जंग में अपनी उपयोगिता साबित करने के साथ दो जून की रोटी का जुगाड़ भी कर रही हैं। समूह की 152 महिलाएं एक लाख 30 हजार मास्क बनाने के शासन से मिले लक्ष्य को पार कर तकरीबन चार लाख रुपये की आय कर चुकी हैं। जबकि परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब वर्ग के बच्चों का यूनिफार्म सिलने की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है।
अमित द्विवेदी, चंदौली
कोरोना काल में शक्ति स्वरूपा महिलाएं मुश्किल में फंसे परिवार के जीवन का आधार बन रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की कुशल महिलाएं जीवन रक्षक मास्क बनाकर कोविड 19 के खिलाफ जंग में अपनी उपयोगिता साबित करने के साथ दो जून की रोटी का जुगाड़ भी कर रही हैं। समूह की 152 महिलाएं एक लाख 30 हजार मास्क बनाने के शासन से मिले लक्ष्य को पार कर तकरीबन चार लाख रुपये की आय कर चुकी हैं। जबकि परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब वर्ग के बच्चों का यूनिफार्म सिलने की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है।
संकट की इस घड़ी में जब गरीब के लिए अपना पेट ही पहाड़ बना हुआ है महिलाएं आगे बढ़कर चुनौती स्वीकार कर रही हैं। स्वयं सहायता समूह की तकरीबन पांच सौ प्रशिक्षित महिलाएं रोजगार से साथ रोटी का भी जुगाड़ कर रही हैं। यूं तो जिले में कुल 8002 समूह हैं लेकिन 945 महिलाएं सिलाई और कढ़ाई में प्रशिक्षित हैं। महिलाओं पर निर्भर एक हजार परिवार
स्वयं सहायता समूह की तकरीबन एक हजार दक्ष महिलाएं मास्क बनाने, यूनिफार्म सिलने और अन्य रोजगारपरक कार्यों में लगी हुई हैं। कोविड 19 के प्रभावी रोकथाम के लिए शासन स्तर से एक लाख 30 हजार मास्क बनाने का लक्ष्य मिला था। समूह की 152 महिलाओं ने लक्ष्य को पूरा कर लिया है। 72 हजार 980 मास्क स्वास्थ्य विभाग, डीपीआरओ व अन्य सरकारी विभागों के जरिए वितरित हो चुके हैं। इस तरह महिलाएं मास्क बनाकर चार लाख रुपये की आय कर चुकी हैं। इस वर्ष शासन ने दो लाख 29 हजार स्कूल ड्रेस सिलने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपी है। ड्रेस के जरिए महिलाओं को तकरीबन 25 लाख रुपये की कमाई होगी। इसी तरह समूह की अन्य महिलाएं विभिन्न रोजगारपरक कार्यों के माध्यम से परिवार को संबल प्रदान कर रही हैं।
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शासन और प्रशासन को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के कौशल का लाभ मिल रहा है। जबकि शासन से जरिए महिलाओं को भी रोजगार प्राप्त हो रहा है। अधिक से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित कर दक्ष बनाने की तैयारी की जा रही है।
-एमपी चौबे, डीसी एनआरएलएम।