मर्यादा पुरुषोत्तम का आचरण ही उत्तम पथ
जासं, चकिया (चंदौली) : जनमानस को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पद चिह्नों पर चलना चाहिए। प्रभु के
जासं, चकिया (चंदौली) : जनमानस को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पद चिह्नों पर चलना चाहिए। प्रभु के आचरण को स्वयं में उतारें। इससे मानव का कल्याण होगा। यदि पुरुष और स्त्री पारिवारिक जीवन में रामचरित मानस में दिए गए आदर्शों को अपनाएं तो वे कभी भी असफल नहीं हो सकते।
यह बातें शुक्रवार की देर शाम नगर के मां कालीजी मंदिर प्रांगण में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के शुभारंभ पर आचार्य मनोज अवस्थी महाराज ने कहीं।
उन्होंने भगवान शिव के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा भगवान आशुतोष की भक्ति से विमुख होकर प्रभु राम की शरण में जाने वाले को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। गोस्वामी तुलसीदास की ओर से रचित श्रीराम चरितमानस में शिव कथा के प्रसंग का बहुत सुंदर ढंग से वर्णन किया गया है। तुलसीदास जी बताते हैं कि भगवान शिव का व्यक्तित्व इतना विराट है कि उसका समग्र चित्र प्रस्तुत कर पाना असंभव है। भोलेनाथ वास्तव में वह सत्ता हैं, जिनकी महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। कहा गोस्वामी तुलसीदास जी ने शिव चरित्र की जिस तरह भूमिका रामचरित मानस में रखी है, वह किसी भी ग्रंथ में बहुत महत्वपूर्ण होती है। भूमिका में महत्वपूर्ण सूत्र मिलते हैं, जो ग्रंथ के गूढ़ प्रसंगों को समझने में सहायक होते हैं। भगवान भोलेनाथ विलक्षण श्रृंगार करते हैं, वह बहुत ही अद्भूत और हास्य वाला होता है। उन्होंने मानव जीवन की महानता की महिमा बताई। दीनों की सेवा को सर्वोपरि बताते हुए प्रत्येक सक्षम व्यक्ति को करने की सीख भी दी। आयोजक श्यामधर शरण वैद्य व रामचंद्र त्रिपाठी ने कथा का समापन प्रभु की पावन पुनीत आरती से किया। श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित की गई। पूर्व चेयरमैन कैलाश प्रसाद जायसवाल, धर्मपाल गुप्ता, श्याम बिहारी मिश्र, राजेंद्र जायसवाल, पारसनाथ केसरी, रामदुलारे गोंड, राकेश पांडेय, विजयानंद द्विवेदी, गिरीश पांडेय, शिवरतन गुप्ता सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित थे।