एक बार फिर नगर व देहात में बंदरों का आतंक
बंदरों का आतंक बीते दो वर्षों से नगर व देहात में सिर चढ़कर बोल रहा है। उत्पाती बंदर घरों में घुसकर खाद्य सामग्री जहां जमकर जा रहे हैं। वहीं बाग बगीचों में लगे फलों को चट करते देर नहीं लग रही है। इसके चलते लोगों का आर्थिक क्षति हो रही हैं। यही नहीं कुछ ढीठ बंदर किशोरियों महिलाओं व बच्चों पर हमला कर उन्हें घायल कर दे रहे हैं।इसके चलते लोगों को चिकित्सकों की शरण लेनी पड़ रही है ।
जासं, चकिया (चंदौली) : बंदरों का आतंक बीते दो वर्षों से नगर व देहात में सिर चढ़कर बोल रहा है। उत्पाती बंदर घरों में घुसकर खाद्य सामग्री जहां खा जा रहे हैं, वहीं, बाग बगीचों में लगे फलों को चट करते देर नहीं लग रही। इसके चलते लोगों की आर्थिक क्षति हो रही है। यही नहीं कुछ ढीठ बंदर किशोरियों, महिलाओं व बच्चों पर हमला कर उन्हें घायल कर दे रहे हैं।इसके चलते लोगों को चिकित्सकों की शरण लेनी पड़ रही है।
पांच वर्ष पूर्व संकट मोचन व दुर्गा जी मंदिर के बंदरों को यहां के जंगलों में छोड़ा गया था। धीरे धीरे इनका कुनबा बढ़ता चला गया। नतीजा भूख मिटाने की आस में बंदरों का समूह लगातार आबादी की ओर बढ़ता चला आया। वर्तमान समय में चकिया, शहाबगंज व नौगढ़ ब्लाक के विभिन्न गांवों में लोग बंदरों से तंग आ गए हैं। शिवपुर, नेवाजगंज, तिलौरी, गरला, छित्तमपुर, मुबारकपुर, शहाबगंज, अतायस्तगंज, भभौरा, नईबस्ती, दुबेपुर, बाघी, नौगढ़ कस्बा, केसार, बरवाडीह, देवखत, जयमोहनी, मगरहीं आदि गांवों में बंदर आए दिन कोई न कोई घटना कारित कर रहे हैं। सोनहुल की दीपिका ने बताया कि बगीचे में अमरूद के फल को बंदर लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। तिलौरी गांव की ममता देवी ने कहा उनके दुकान में रखे सामानों को बंदर नष्ट कर दे रहे हैं। फल, सब्जी के दुकानों पर इनके हमले इस तरह हो रहे हैं कि लोग डर जा रहे हैं। ग्रामीणों ने बंदरों से निजात दिलाने की जिला प्रशासन से गुहार लगाई है।