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टास्क फोर्स बीमार, रोजगार की दरकार

ग्राम पंचायतों में हो रहे विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने और गतिविधियों पर नजर रखने को ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत अस्थाई तौर पर चयनित ग्राम पंचायत टास्क फोर्स के सदस्य रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जबकि विगत वर्ष इन्हें विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों और ब्लाक मुख्यालयों पर दो दिन प्रशिक्षण भी दिलाया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 05:37 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 05:37 PM (IST)
टास्क फोर्स बीमार, रोजगार की दरकार
टास्क फोर्स बीमार, रोजगार की दरकार

जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली): ग्राम पंचायतों में हो रहे विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने और गतिविधियों पर नजर रखने को ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत अस्थाई तौर पर चयनित ग्राम पंचायत टास्क फोर्स के सदस्य रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जबकि विगत वर्ष इन्हें विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों और ब्लाक मुख्यालयों पर दो दिन प्रशिक्षण भी दिलाया गया। जिम्मेदारी सौंपी गई कि ग्राम पंचायतों की खुली बैठकों में अनिवार्य रूप से प्रतिभाग कर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। बदले में न्यूनतम मानदेय का भी प्रावधान किया गया। लेकिन ग्राम पंचायत सचिवों और प्रधानों ने बैठकों में बुलाना तो दूर सूचना देना भी मुनासिब नहीं समझा। जिले के दो हजार से अधिक टास्क फोर्स सदस्य अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत वर्ष 2018 में जिले की सभी 734 ग्राम पंचायतों में अधिकतम पांच टास्क फोर्स सदस्यों का चयन किया जाना था। ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के माध्यम से चयन के बाद प्रशिक्षण आदि की जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग को सौंपी गई। उद्देश्य यह था कि टास्क फोर्स के सदस्य बैठकों में प्रतिभाग करेंगे और ग्राम पंचायतों में उपलब्ध मानवीय और वित्तीय संसाधनों के आधार पर विकास का खाका तैयार करेंगे। इसके अतिरिक्त वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृतियों पर नजर रखते हुए विकास की रणनीति तैयार करेंगे। ग्राम पंचायतों में योजना निर्माण की दशा में क्या-क्या कार्य किए जाएंगे इसपर सुझाव देने की जिम्मेदारी भी सदस्यों को सौंपी गई।

प्रशिक्षण के बाद भी नहीं लिया जा रहा काम

सरकार की मंशा को शुरुआत में ही तगड़ा झटका लगा। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में टास्क फोर्स के सदस्यों का चयन नहीं हो सका। फिर भी तकरीबन दो हजार से अधिक सदस्यों का चयन कर उन्हें दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। लेकिन कभी बैठकों में नहीं बुलाया गया। सदस्य विगत एक वर्षों से अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। अंबिका पांडेय, चंद्रप्रकाश यादव, उदयनाथ, लालबहादुर, राजन आदि सदस्यों का आरोप है कि उनकी फरियाद न जिलाधिकारी ने सुनी ना ही सीएम हेल्पलाइन से ही उनको कोई मदद मिली।

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वर्जन

ग्राम पंचायत सचिवों और प्रधानों को निर्देश दिया गया था कि टास्क फोर्स के सदस्यों को अनिवार्य रूप से बैठकों में शामिल कराएं। यदि लापरवाही बरती गई है तो जांच कराई जाएगी। आगे से सदस्य बैठकों में शामिल होंगे और सहयोग प्रदान करेंगे। उमाशंकर मिश्रा, डीपीआरओ


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