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नहाय खाय के साथ छठ महापर्व आज से शुरू

परिवार की सुख समृद्धि पुत्र की सलामती को रखा जाने वाला आस्था का महापर्व डाला छठ नहाय खाय के साथ रविवार से शुरू होगा। घर से घाट तक शनिवार को पर्व जैसा माहौल बन गया। पारंपरिक गीत गुनगुनाते हुए घर की महिलाओं ने तालाबों पर वेदी बनाकर घाट छेंक (सुरक्षित) लिए। ठेकुआ, पूरी पकवान के साथ प्रसाद तैयार किया। कद्दू भात के सेवन से चार दिवसीय यह पर्व शुरू होगा। बिना मसाले की कद्दू की सब्जी का महिलाएं सेवन करेंगी। महिलाएं सिर धोकर स्नान करेंगी। नाखून काटकर शरीर को पूरी तरह से स्वच्छ बनाएंगी। भोजन भी इतना हल्का रहेगा कि शरीर पूरी तरह से शुद्ध रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 08:01 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 10:55 PM (IST)
नहाय खाय के साथ छठ महापर्व आज से शुरू
नहाय खाय के साथ छठ महापर्व आज से शुरू

जागरण संवाददाता, चंदौली : परिवार की सुख समृद्धि पुत्र की सलामती को रखा जाने वाला आस्था का महापर्व डाला छठ नहाय खाय के साथ रविवार से शुरू होगा। घर से घाट तक शनिवार को पर्व जैसा माहौल बन गया। पारंपरिक गीत गुनगुनाते हुए घर की महिलाओं ने तालाबों पर वेदी बनाकर घाट छेक (सुरक्षित) लिए। ठेकुआ, पूरी पकवान के साथ प्रसाद तैयार किया। कद्दू भात के सेवन से चार दिवसीय यह पर्व शुरू होगा। बिना मसाले की कद्दू की सब्जी का महिलाएं सेवन करेंगी। महिलाएं सिर धोकर स्नान करेंगी। नाखून काटकर शरीर को पूरी तरह से स्वच्छ बनाएंगी। भोजन भी इतना हल्का रहेगा कि शरीर पूरी तरह से शुद्ध रहे।

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पंडित डा. रामचंद्र शुक्ल के अनुसार बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी पूजी जाती हैं, ताकि बच्चे के ग्रह-गोचर शांत हो जाएं। एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिकेय की शक्ति हैं षष्ठी देवी। पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होगी और सप्तमी को अरुण वेला में व्रत का समापन होगा। पहले दिन से विशेष स्वच्छता रखी जाती है। इस दिन लौकी चावल का आहार ग्रहण करते हैं। छठ पूजा के बारे में कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है राजा प्रियंवद और रानी मालिनी की कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप के कहने पर दंपती ने यज्ञ किया। पुत्र की प्राप्ति हुई। दुर्भाग्य से नवजात मरा हुआ पैदा हुआ। राजा-रानी प्राण त्याग का प्रण किए तो ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई, कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से पैदा हुई हूं। इसलिए षष्ठी कहलाती हूं। उनकी पूजा करने से संतान की प्राप्ति होगी। राजा-रानी ने षष्ठी व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। मान्यता है कि पांडव जुए में जब राजपाठ हार गए तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था, इससे राजपाठ वापस मिला। छठ महापर्व की तिथियां

नहाय-खाए : रविवार 11 नवंबर

खरना : सोमवार 12 नवंबर

सायंकालीन अ‌र्घ्य : मंगलवार 13 नवंबर

प्रात:कालीन अ‌र्घ्य : बुधवार 14 नवंबर


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