भौतिकता में भरने होंगे आध्यात्मिकता के पुट
भौतिकता में भरने होंगे आध्यात्मिकता के पुट
जासं, ताराजीवनपुर (चंदौली) : कोरोना आज एक वैश्विक त्रासदी के अलावा आत्मचितन, मंथन कर प्रकृति के साथ कदमताल करते हुए विकास की सही दिशा की ओर अग्रसर होने के लिए चेतावनी भी है। उक्त बातें दयालपुर (सदलपुरा) निवासी कालेज के मार्गदर्शक डा. अरुण कुमार सिंह ने कही। जागरण को बताया कि इस लॉकडाउन के दौरान उनका समय पुस्तकों के अध्ययन, त्रिकाल संध्या करने के अलावा टीवी पर रामायण आदि सीरियल देखने के साथ न्यूज पेपर दैनिक जागरण पढ़ने में व्यतीत हो रहा है। हर व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ पल के लिए एकांत में अवश्य जाना चाहिए।
कहा कि पूरे देश में इन दिनों कोरोना महामारी को लेकर चल रहे लॉकडाउन के कारण परिवार की दिनचर्या में बदलाव आ गया है। भौतिक विकास के साथ ही अपने आध्यात्मिक, शारीरिक व सामाजिक उन्नति पर विचार करने के लिए कोरोना जैसी महामारी ने हमें चैतन्य होने का समय दिया है। शुक्रवार की दोपहर डा. डीन अर्निस की किताब प्रोग्राम फार रिवर्सिइंग हार्ट डिजीज का अध्ययन कर रहे श्री अरुण ने बताया कि इन दिनों खाली समय का सदुपयोग हो रहा है। बाकी समय में पौधों की कुड़ाई व पानी देकर समय व सेहत पर ध्यान है। बताया कि जहां दिनभर दोनों विद्यालयों की देख-रेख व बच्चों के पठन-पाठन से जुड़ी दिनचर्या में समय बीत जाता था। वहीं इन दिनों आध्यात्मिक चितन व किताब पढ़ने के साथ ही परिवार के बीच समय बीत रहा है। कहा कि यह प्राकृतिक सुख-संपदा की खान है, लेकिन हम इससे इतर होकर भौतिक विकास की तरफ तेजी से भाग रहे हैं। इससे प्रकृति हमें बीच-बीच में एंथ्रेक्स और कोरोना आदि से झटका दे रही है। यह सब हमें चैतन्य करने भर के लिए है। अगर हम अभी से चेत लेते हैं तो आगामी जीवन को आध्यात्मिक व प्रकृति के प्रति लगाव से हम अपने जीवन को सुगम व रोगमुक्त बना सकते हैं।