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बजट के अभाव में बिगड़ रही मिट्टी की सेहत

बजट के अभाव में बिगड़ रही मिट्टी की सेहत

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:43 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 08:43 AM (IST)
बजट के अभाव में बिगड़ रही मिट्टी की सेहत
बजट के अभाव में बिगड़ रही मिट्टी की सेहत

वीरकेश्वर पाठक, चंदौली

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सावधान! फसल उत्पादकता के लिहाज से प्रदेश में अग्रणी धान के कटोरे की बादशाहत खतरे में है। पोषक तत्वों की कमी और रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग के चलते मिट्टी की उर्वराशक्ति घटती जा रही है। मर्ज का इलाज बताने वाली जनपद की एकमात्र मृदा परीक्षण एल-2 प्रयोगशाला बजट के अभाव में ठप पड़ी है। मिट्टी की जांच नहीं होने से किसान परेशान हैं। इसका असर किसानी पर पड़ रहा है। चिताजनक यह कि खेती ही यहां के तकरीबन 2.25 लाख किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है।

कोरोना संक्रमण ने देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है। कृषि क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। सरकार ने मृदा परीक्षण के लिए किट व अन्य जरूरी संसाधन मुहैया कराने में हाथ खड़े कर दिए हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों की जांच के लिए कृषि उपनिदेशक कार्यालय में लेवल-2 लैब स्थापित किया गया है। किसान हर साल रबी सत्र में खेत खाली होने के बाद यहां मिट्टी की जांच कराते थे। इसको लेकर विभाग भी सक्रिय रहता था, लेकिन नवंबर माह में ही केंद्र सरकार ने मिट्टी की जांच पर रोक लगा दी। कोरोना संकट काल में इसके शुरू होने की कोई उम्मीद नहीं है। इसके चलते मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों का पता लगाना मुश्किल हो गया है। एल-दो लैब के प्रभारी रामस्वारथ मौर्या ने बताया कि शासन स्तर से किट समेत अन्य संसाधन नहीं मुहैया कराए जा रहे हैं। इसके चलते मृदा परीक्षण का कार्य ठप है। घट रही जिक, नाइट्रोजन, सल्फर की मात्रा

कृषि प्रधान जनपद में करीब 1.25 लाख हेक्टेयर भूमि में खेती होती है। यहां की मिट्टी में जिक, नाइट्रोजन, सल्फर व फास्फोरस की मात्रा मानक से काफी कम है। मिट्टी में औसतन जिक की मात्रा आठ पीपीएम से अधिक होनी चाहिए, लेकिन जिले में कहीं तीन तो कहीं चार पीपीएम ही जिक की मात्रा मौजूद है। इसी प्रकार अन्य पोषक तत्वों की मौजूदगी भी मानक के सापेक्ष 50 फीसदी कम है। इसके चलते मिट्टी की उर्वरता घट रही है। 180 माडल गांवों का होगा चयन

मृदा परीक्षण की प्रक्रिया ठप होने के बाद शासन ने माडल गांवों का चयन करने का निर्देश दिया है। इसके तहत जिले में 180 गांवों का चयन किया जाना है। प्रत्येक ब्लाक से 20 गांवों का चयन किया जाएगा। इसमें कम उत्पादकता वाले गांवों को तरजीह दी जाएगी। जिन गावों में कृषि अथवा पशु सखी का चयन किया गया हो अथवा ग्रामीण मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में जागरूक न हों। केंद्र सरकार ने मृदा परीक्षण पर रोक लगा दिया है। शासन के निर्देशानुसार जिले में 180 माडल गांवों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए डाटा तैयार कराया जा रहा है।

-अमित जायसवाल, उप निदेशक कृषि।


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