सावन ने दिया धोखा, भादों से अन्नदाताओं को उम्मीद
का सावन से भादों दुब्बर हव कि कहावत से तो सभी वाकिफ हैं। ऐसे में बारिश के नाम पर सावन के धोखा देने से अन्नदाताओं की उम्मीद अब भादों से बंध गई है। कारण सावन में औसत से कम वर्षा होने के कारण चिलचिलाती धूप से खेतों में रोपी गई धान की फसल मुरझाने लगी है। पानी के अभाव में किसान फसल को लेकर चितित हैं। यदि भादों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो धान की पैदावार में कमी आने की संभावना बढ़ गई है। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जुला
जासं, चंदौली : का सावन से भादों दुब्बर हव कि कहावत से तो सभी वाकिफ हैं। ऐसे में बारिश के नाम पर सावन के धोखा देने से अन्नदाताओं की उम्मीद अब भादों से बंध गई है। कारण सावन में औसत से कम वर्षा होने के कारण चिलचिलाती धूप से खेतों में रोपी गई धान की फसल मुरझाने लगी है। पानी के अभाव में किसान फसल को लेकर चितित हैं। यदि भादों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो धान की पैदावार में कमी आने की संभावना बढ़ गई है। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जुलाई माह में 307.30 मानक वर्षा के सापेक्ष मात्र 186.53 मिली मीटर ही वर्षा हुई है। वर्षा का यह आंकड़ा खरीफ की प्रमुख फसल के लिए निराशाजनक है।
धान के कटोरे में 1 लाख 13 हजार हेक्टेअर में धान की खेती होती है। इसमें मैदानी क्षेत्रों को छोड़ दें तो वनांचल के पर्वतीय इलाकों के किसानों की खेती वर्षा आधारित ही है। यदि बारिश हुई तो ठीक वरना खेती से हाथ धोना पड़ता है। चालू सीजन में 95 फीसद किसानों ने नहरों व व्यक्तिगत साधनों से धान की रोपाई कर दी है। केवल नौगढ़ के 5 फीसद किसान ही पानी के अभाव में धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं। लेकिन आने वाले दिनों में यदि बारिश ने निराश किया तो पैदावार की संभावना क्षीण होना तय है। खासकर वनांचल में बांध बंधियों के जलाशयों में पानी की स्थिति असंतोषजनक होने से किसानों की चिता बढ़ गई है।
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16 अगस्त तक 23.83 मिमी वर्षा
अमूमन 15 जून से बारिश की उम्मीद की जाती है। लेकिन चालू सीजन में जून का द्वितीय पखवारा बिना बारिश के ही गुजर गया। जुलाई की बारी आई तो मानक वर्ष 307.30 के सापेक्ष मात्र 186.53 मिली मीटर ही बारिश हुई। वहीं 16 अगस्त तक मानक वर्षा 326.30 के सापेक्ष मात्र 23.83 मिमी ही वर्षा हुई है। जबकि अगस्त का एक पखवारा बीत चुका है।
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वर्जन
फिलहाल वर्षा की स्थिति संतोषजनक नहीं है। हालांकि अभी बारिश की संभावना बनी हुई है। यदि आने वाले दिनों में भी यही स्थिति बनी रही तो धान की खेती पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। वैसे खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
राजीव भारती, जिला कृषि अधिकारी