संजना, अंतिमा सलामत लौटीं, घर में जश्न
लंबे इलाज के बाद जब बच्चियां सही-सलामत घर लौटीं तो पूरे गांव ने क्षेत्राधिकारी त्रिपुरारी पांडेय को शुक्रिया कहा। वर्दी के पीछे छुपे एक दिल ने इसे इंसानियत का तकाजा बताया और परिजनों से जल्द घर आने का वायदा किया। सीओ ने वाकई एक मिसाल कायम की, जिसकी सराहना शब्दों में बयां नही की जा सकती।
जासं,सकलडीहा(चंदौली): अंतिमा, संजना ने मौत को हरा दिया। रविवार को घर लौटीं तो परिवार में होली, दिवाली सी खुशियां देखने को मिली। लाजिमी भी कि गरीबी से जूझ रहे परिवार के पास इलाज को पैसे नहीं थे लेकिन ईश्वर की मर्जी के बगैर एक पत्ता कैसे हिल जाता। सीओ त्रिपुरारी पांडेय दोनों बच्चियों एवं मौत के बीच दीवार बन खड़े हुए ट्रामा सेंटर के चिकित्सकों की मेधा, हजारों लोगों ने दुआ से मौत भी हार गई। दोनों मासूमों ने भी जीवटता दिखाते 20 दिनों तक मौत से लड़ते हुए कई आपरेशन झेल सही सलामत घर लौंटी।
नरैना गांव के राजेन्द्र कुमार की पुत्री संजना (5), जयराम की पुत्री अंतिमा (6) बीते 3 सितंबर को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गईं। चोट इतनी गहरी थी कि जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने देखते ही रेफर कर दिया। दोनों को वाराणसी के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। गरीबी इलाज के आड़े आने लगी तो सीओ ने झट से हाथ आगे बढ़ाया। चिकित्सकों के बीस दिनों के अथक परिश्रम व सीओ की दरियादिली की बदौलत बच्चियां मौत के मुंह से बाहर निकल शनिवार को घर वापस लौट आईं। दोनों को सलामत देख परिवार के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गांव के लोग भी दोनों बच्चियों को देखने पहुंच गए थे। दोनों ही परिवार ने सीओ के नेकदिली की सराहना करते उनके दीर्घायु होने की कामना की।
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मैं तो माध्यम, सबकुछ ईश्वर ने किया : सीओ
सकलडीहा : सीओ त्रिपुरारी पांडेय ने कहा कि मैं तो माध्यम मात्र हूं। दोनों बच्चियां बचीं तो उसके पीछे चिकित्सकों की मेहनत एवं हजारों लोगों की दुआएं काम आईं। मुझे इस बात की खुशी है दोनों मासूम सलामत अपने घर लौट आईं। रुपये तो आते जाते रहते हैं। हमारे एक सिपाही सुजीत ओझा ने बखूबी भूमिका निभाई। बच्चियों के साथ गया तो लौटा जब दोनों स्वस्थ हो गईं।