आसमान से बरसा अमृत, फसलों को मिली संजीवनी
धान के कटोरे में बुधवार की सुबह हुई बारिश ने अन्नदाताओं को निहाल कर दिया है। बारिश की बूंदों में अमृत वर्षा से फसलों को जहां संजीवनी मिल गई है, वहीं फौव्वारा ¨सचाई से पौधों की जड़े भी मजबूत होंगी। बारिश दलहनी फसलों के लिए तो लाभदायक सिद्ध होगी ही तापमान में कमी आने से गेहूं की फसल का भी तेजी से विकास होगा। कृषि वैज्ञानिकों का कहना
जागरण संवाददाता, चंदौली : धान के कटोरे में बुधवार की सुबह हुई बारिश ने अन्नदाताओं को निहाल कर दिया है। बारिश की बूंदों में अमृत वर्षा से फसलों को जहां संजीवनी मिल गई है, वहीं फौव्वारा ¨सचाई से पौधों की जड़ें भी मजबूत होंगी। बारिश दलहनी फसलों के लिए तो लाभदायक सिद्ध होगी ही तापमान में कमी आने से गेहूं की फसल का भी तेजी से विकास होगा। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश के बाद किसान गेहूं की फसल में यूरिया की टाप ड्रे¨सग करें। इससे फसल को फायदा पहुंचेगा। तापमान में हो रही थी बढ़ोत्तरी
पिछले एक पखवारे से तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही थी। इससे गेहूं की फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई थी। कृषि वैज्ञानिकों का मानना था कि आने वाले दिनों में भी तापमान बढ़ा तो फसल का विकास तो रुकेगा ही उत्पादन भी लुढ़केगा लेकिन बारिश ने अन्नदाताओं की उम्मीदों को पंख लगा दिया है। रोग का करें उपचार
जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने कहा कि लगातार बदली के कारण राई, सरसों की फसल में माहो कीट के प्रकोप की आशंका बढ़ेगी। रोग से बचाव को किसान डाइमेथोएट एक लीटर प्रति हेक्टेअर की दर से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। आलू की फसल में झुलसा रोग के नियंत्रण को कापरआक्सी क्लोराइड 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेअर की दर से 700 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। वहीं चना व मटर में फली छेदक एवं सेमी लूपर के प्रकोप की रोकथाम को नीम आयल ढाई से तीन लीटर प्रति हेक्टेअर या क्यूनालफास 2 लीटर प्रति हेक्टेअर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। बारिश गेहूं की फसल के लिए लाभदायक है। इससे पौधों में तेजी से कल्ले तो निकलेंगे ही फसल का विकास भी होगा।
डा.आरपीएस रघुवंशी, केविके प्रभारी बारिश गेहूं व दलहनी फसलों के लिए फायदेमंद है। तापमान में कमी आने से गेहूं की फसल का विकास होगा। किसान यूरिया की टाप ड्रे¨सग करें।
विजय ¨सह, कृषि उपनिदेशक