डग्गामार वाहन बने सहारा, आधे से ज्यादा खटारा
डिजिटल युग में भी दर्जनों गांवों के लोगों को डग्गामार वाहनों से आवागमन करना पड़ रहा। यात्रियों से मनमाना किराया वसूल किया जाता है। डग्गामार वाहनों से जिला और तहसील मुख्यालय का सफर खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि इनमें आधे से अधिक वाहन खटारा हैं। जिला सृजन के वर्षो बाद भी चकिया-चंदौली मार्ग पर रोडवेज बस सेवा मयस्सर नहीं हो सकी है। ऐसे में डग्गामार वाहन ही यात्रा का सहारा हैं। आरोप है कि जिला प्रशासन से कई बार फरियाद के बाद भी रोडवेज की बसें नहीं चलाई गईं।
जासं, चकिया (चंदौली) : डिजिटल युग में भी दर्जनों गांवों के लोगों को डग्गामार वाहनों से आवागमन करना पड़ रहा। यात्रियों से मनमाना किराया वसूल किया जाता है। डग्गामार वाहनों से जिला और तहसील मुख्यालय का सफर खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि इनमें आधे से अधिक वाहन खटारा हैं। जिला सृजन के वर्षो बाद भी चकिया-चंदौली मार्ग पर रोडवेज बस सेवा मयस्सर नहीं हो सकी है। ऐसे में डग्गामार वाहन ही यात्रा का सहारा हैं। आरोप है कि जिला प्रशासन से कई बार फरियाद के बाद भी रोडवेज की बसें नहीं चलाई गईं।
तहसील मुख्यालय से विभिन्न सड़कों पर आधा दर्जन रोडवेज की गाड़ियां रफ्तार भर रही हैं। इलिया व नौगढ़ कस्बे तक सफर को एक-एक बसें चल रही हैं लेकिन समय निर्धारित नहीं होने से इसका लाभ नहीं मिल पाता। चकिया-चंदौली, चकिया-अहरौरा व लेवा-इलिया मार्ग पर निजी सवारी वाहन ही चलते हैं। रोडवेज बसों की कमी और निजी वाहनों की मनमानी का खामियाजा स्थानीय यात्रियों को भुगतना पड़ रहा। तहसील मुख्यालय पर राज्य सड़क परिवहन विभाग का आलीशान बस स्टैंड है लेकिन रोडवेज बसों की संख्या नगण्य है। रखरखाव व मरम्मत के अभाव में बस अड्डा बदहाली का शिकार हो गया है। रोडवेज की एक बस गंतव्य को चली गई तो दूसरी के लिए घंटों इंतजाम करना पड़ता है। विडंबना यह कि यात्रियों को चंदौली, सोनभद्र, मीरजापुर जाने के लिए यहां रोजवेस बस नहीं मिलती। बस स्टैंड से जिला मुख्यालय जाने को चंदौली-चकिया मार्ग पर बसों के संचालन की व्यवस्था नहीं है। इस मार्ग से जुड़े मोहम्मदाबाद, बोदारा, पचवनियां, केराडीह, ठेकहां, करनौल, अतायस्तगंज, मुरकौल, तियरा, मचवल, नौड़िहा, गजधरा, लटांव सहित दर्जनों गांवों के यात्री निजी या डग्गामार वाहनों से यात्रा करते हैं। हालांकि वाराणसी, पीडीडीयू नगर, नौगढ़, इलिया आदि स्थानों पर जाने के लिए बसों का संचालन होता है। गिनी-चुनी बसें चलाने से अधिकांश यात्री निजी वाहनों से सफर करने को विवश हैं। विभागीय उपेक्षा का आलम यह कि रोडवेज बस डिपो में एक भी कर्मचारी नियुक्त नहीं है।
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वर्जन..
Xह्नह्वश्रह्ल;अभियान चलाकर डग्गामार वाहनों को पकड़ा जाता है। बिना परमिट व फिटनेस की गाड़ियां चल रहीं हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। 15 साल पुराने वाहनों का संचालन किसी दशा में नहीं होगा।
- विजय प्रकाश सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन।