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माटीगांव में कुषाणगुप्त काल के अवशेष मिलने की उम्मीद

पुरातत्व विभाग काशी हिदू विश्वविद्यालय के सर्वेक्षण टीम भारत सरकार से खुदाई की सहमति मिलने पर क्षेत्र के माटीगांव स्थित शिव मंदिर पर सोमवार को पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग डॉक्टर बी आर मणि के निर्देशन में खुदाई के जगह का चयन किया गया।तत्पश्चात यहां रखी सैकड़ों वर्ष पूर्व खंडित मूर्तियों का गहनता

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 07:14 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 07:14 PM (IST)
माटीगांव में कुषाणगुप्त काल के अवशेष मिलने की उम्मीद
माटीगांव में कुषाणगुप्त काल के अवशेष मिलने की उम्मीद

जासं, ताराजीवनपुर (चंदौली) : पुरातत्व विभाग काशी हिदू विश्वविद्यालय की सर्वेक्षण टीम ने सोमवार को माटीगांव स्थित शिव मंदिर परिसर में खोदाई के लिए जमीन का चयन किया। यहां रखी सैकड़ों वर्ष पूर्व खंडित मूर्तियों की गहनता से जांच की। टीम की मानें तो मंदिर परिसर में खोदाई होने पर नीचे भव्य मंदिर मिल सकता है।

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पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग डा. बीआर मणि ने कहा अवशेष के आधार पर कुषाणगुप्त काल के अवशेष प्रतीत हो रहे। खोदाई के बाद स्पष्ट हो जाएगा। बीएचयू पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डा. ओंकारनाथ सिंह ने कहा केंद्रीय पुरातत्व सलाहकार समिति द्वारा खुदाई की सहमति मिलने के बाद यह चयन किया गया। मार्च के प्रथम सप्ताह से चयनित स्थानों पर खोदाई का कार्य शुरू होगा। बताया लगभग मूर्तियों की स्थिति से अंदाजा लग रहा कि दो हजार वर्ष पूर्व मनुष्य अपने रहन-सहन के लिए गांव में आए। काशी से सटे होने के कारण उक्त स्थान का धार्मिक, व्यापारिक ²ष्टिकोण से विशेष महत्त्व रहा होगा। सर्वे टीम को चुनार के बलुए पत्थर से बनी अनेक देवी-देवताओं की खंडित दर्जनों प्रतिमाएं मिली हैं, इसका पुरातात्विक ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है। खंडित मूर्तियों में भगवान विष्णु, मां दुर्गा, सूर्य, गणेश लीला स्तंभ सहित दर्जनों मूर्तियां खंडित पड़ी हैं। मंदिर परिसर में कुछ ईंट भी हैं जो लगभग पंद्रह सौ वर्ष पूर्व के प्रतीत हो रही। सर्वे टीम ने कहा अनुमान है कि उक्त मंदिर परिसर के समीप से जल प्रवाह भी है जो की प्राचीन बस्ती के लोगों को जल स्त्रोत के रूप में महत्वपूर्ण था। मंदिर के समीप भव्य मंदिर के साथ ही कई अनेक पुरास्थल भी है। गांव के ही शिक्षक प्रमोद कुमार सिंह काफी दिनों से उक्त स्थल का पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराने की मांग कर रहे थे। टीम में डा. अशोक कुमार सिंह, प्रो. अनिल कुमार दुबे, डा. संदीप, प्रभाकर उपाध्याय, डा. डीपी सिंह, डा. विनय कुमार आदि थे।


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