वनांचल में होगी राजमा की खेती, किसान होंगे मालामाल
रबी की फसलों की बोआई की तैयारी शुरू हो गई है। बुधवार को पुरानाडीह मुजफ्फरपुर गांव में भारतीय कृषि व सब्जी अनुसंधान संस्थान की ओर से किसान गोष्ठी व बीज वितरण का आयोजन किया गया। इसमें कृषि विज्ञानियों ने किसानों को रबी की प्रमुख फसल गेहूं दलहनी-तिलहनी फसलों व सब्जी के बाबत विस्तार से जानकारी दी।
जासं, चकिया (चंदौली) : रबी की फसलों की बोआई की तैयारी शुरू हो गई है। बुधवार को पुरानाडीह, मुजफ्फरपुर गांव में भारतीय कृषि व सब्जी अनुसंधान संस्थान की ओर से किसान गोष्ठी व बीज वितरण का आयोजन किया गया। इसमें कृषि विज्ञानियों ने किसानों को रबी की प्रमुख फसल गेहूं, दलहनी-तिलहनी फसलों व सब्जी के बाबत विस्तार से जानकारी दी। राजमा की जैविक खेती करने पर जोर दिया गया। किसानों ने उनसे समस्याओं का हाल जाना।
प्रधान कृषि विज्ञानी डा. त्रिभुवन चौबे ने कहा फसलों के साथ ही सब्जी की खेती से किसानों की आय दोगुनी होगी। वनांचल में राजमा की खेती कर यहां के किसान मालामाल हो जाएंगे। भूमि इसकी खेती के योग्य है। राजमा की खेती रबी ऋतु में की जाती है। अभी इसके लिए उपयुक्त समय है। राजमा की अच्छी पैदावार को 10 से 27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता पड़ती है। राजमा हल्की दोमट मिट्टी से लेकर भारी चिकनी मिट्टी तक में उगाई जा सकती है। वरिष्ठ कृषि विज्ञानी शैलेंद्र तिवारी ने बताया राजमा प्रोटीन से भरपूर विटामिन युक्त तथा लाभदायक अमीनो एसिड से भरपूर स्वादिष्ट एवं पौष्टिक मनभावन दाल व सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। दालों के स्थान पर राजमा का गरीब रसोई से ऊंचे होटलों तक में इस्तेमाल किया जाता है। कहा बाजार में राजमा की मांग को देखते हुए किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। डा. भरतराज मीणा ने खेत की तैयारी, सिचाई, बोआई, बीज की मात्रा, खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग आदि के बाबत विधिवत जानकारी दी। दोनों गांवों में अनुसूचित जाति के 44 किसानों को राजमा, चना, मटर, गेहूं, सरसों व सब्जी का बीज मुफ्त में वितरित किया गया। सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी रघुवंशमणि राय, तकनीकी अधिकारी मनोज सिंह, सर्वेश मिश्र, मंशाराम, रविशंकर प्रसाद, मोहन पांडेय, फुला देवी, सिताबी, श्यामा, शिवमूरत, रमेश, कल्लूराम आदि किसान उपस्थित थे।