बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन में निजी अस्पताल फिसड्डी
बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन को लेकर निजी अस्पताल पैथलाजी सेंटर और शासन स्तर से चयनित कंपनियां गंभीर नहीं हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तय मानकों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। शुक्रवार को एडिशनल सीएमओ के नेतृत्व में गठित टीम की जांच में लापरवाही को पोल खुल गई। टीम ने सात नर्सिंग होम और जांच केंद्रों का जायजा लिया और 30 बिदुओं पर पड़ताल की।
जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन को लेकर निजी अस्पताल, पैथोलॉजी सेंटर और शासन स्तर से चयनित कंपनियां गंभीर नहीं हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तय मानकों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। शुक्रवार को एडिशनल सीएमओ के नेतृत्व में गठित टीम की जांच में पोल खुल गई। टीम ने सात नर्सिग होम और जांच केंद्रों का जायजा लिया और 30 बिदुओं पर पड़ताल की। रिपोर्ट 10 जनवरी तक शासन को भेज दी जाएगी। वहीं से नाफरमानी के बदले कार्रवाई का चाबुक चलाया जाएगा।
बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण को लेकर शासन की सख्ती और निर्देशों के तहत एडिशनल सीएमओ डा. नीलम ओझा ने डा. श्रेया सिंह और सर्वेश राय के साथ नगर में संचालित नर्सिग होम और पैथोलॉजी सेंटरों की जांच की। इस दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी 30 बिदुओं पर पड़ताल की गई। अधिकतर अस्पतालों में मनमानी और लापरवाही देखने को मिली। मेडिकल वेस्ट प्रबंधन के लिए शासन स्तर से नामित एक कंपनी की घोर लापरवाही भी खुलकर सामने आई। चिकित्सालयों में कमेटी का गठन ही नहीं किया गया। संचालकों ने बताया कंपनी के कर्मचारी कई दिनों तक मेडिकल वेस्ट उठाने नहीं आते। अधिकतर अस्पतालों को मानकों की सही जानकारी तक नहीं थी। कंपनी की ओर से कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। मेडिकल वेस्ट यहां वहां फेंका जा रहा है। इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। एडिशनल सीएमओ ने अस्पतालों की उदासीनता पर नाराजगी जताई। बताया कि आनंद नेत्रालय, आनंद नर्सिग होम, अग्रवाल हास्पिटल, आशुतोष हास्पिटल, सिमरन हास्पिटल, संस्कृति और दयाल अस्पताल का 30 बिदुओं के तहत जायजा लिया गया। आनंद नेत्रालय, आनंद नर्सिग होम और दयाल अस्पताल में ही कुछ हद तक संतोषजनक स्थिति देखने को मिली। नगर के सभी जांच केंद्रों और निजी अस्पतालों का जायजा लेकर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
अस्पतालों की जांच को 10 टीमें गठित
जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर एनजीटी की सख्ती के बाद शासन स्तर से चिकित्सालयों और जांच केंद्रों की जांच के निर्देश दिए गए हैं। सीएमओ स्तर से जिले में 10 टीमें गठित की गई हैं। सभी को क्षेत्रों का निर्धारण भी कर दिया गया है। 30 बिदुओं पर जांच कर 10 जनवरी तक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से जुड़ा होने के चलते अभियान को शीर्ष प्राथमिकता प्रदान करने का निर्देश दिया गया है।