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58 नलकूपों को बंद करने की तैयारी

भारी भरकम खर्च के बोझ तले दबता जा रहा जल निगम 5

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 08:31 PM (IST)
58 नलकूपों को बंद करने की तैयारी

जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर, (चंदौली): भारी भरकम खर्च के बोझ तले दबता जा रहा जल निगम 58 नलकूपों का संचालन बंद करने की तैयारी कर रहा है। विभाग ने यह कदम उठा लिया तो चार सौ गांवों के किसानों की हजारों एकड़ कृषि भूमि अ¨सचित ही रह जाएगी। दरअसल जल निगम जलकर के रूप में प्रतिवर्ष बमुश्किल 50 लाख रुपये की वसूली कर पाता है जबकि नलकूपों को चलाने में माह भर में ही लगभग 55 लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें विद्युत देय से लेकर निजी कर्मचारियों का मानदेय शामिल है। शासन स्तर से मार्च माह के बाद कोई बजट भी नहीं दिया गया है। ऐसे में महकमे के पास ट्यूबवेलों को बंद करने के अतिरिक्त कोई विकल्प शेष नहीं रह गया है।

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किसानों की बेहतरी को प्रदेश सरकार ग्रामीण पेयजल की 40 योजनाएं संचालित कर रही है। इन्ही के जरिए धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले में 61 नलकूपों का संचालन होता है। इनसे चार सौ गांवों के सैकड़ों किसान अपने फसलों की ¨सचाई करते थे। समय बीतने से साथ ही ट्यूबवेलों की क्षमता कम होती गई और पाइन लाइनों की मरम्मत नहीं होने से ¨सचाई का रकबा और गांवों का दायरा भी सिमटता चला गया। सरकारों ने ध्यान नहीं दिया और हालात बिगड़े तो तीन ट्यूबवेल बंद करने पडे़। अब शेष बचे 58 ट्यूबवेलों को चलाना भी जल निगम के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। विभाग ट्यूबवेलों को बंद करने की तैयारी कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो रबी के सीजन में फसलों की ¨सचाई को किसान परेशान हो जाएंगे।

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया

जल निगम के सहायक अभियंता बलवंत प्रसाद बताते हैं कि प्रतिवर्ष 15 से 20 प्रतिशत जलकर की वसूली ही हो पाती है। कुल जमा 55 लाख रुपये विभाग को प्राप्त होते हैं। पाइप लाइन खराब होने और ट्यूबवेलों की क्षमता घटने से ¨सचाई का रकबा भी सिमट गया है। किसान जलकर देने में आनाकानी करते हैं। जबकि ट्यूबवेलों को चलाने में प्रतिमाह 55 लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें सबसे अधिक विद्युत देय शामिल है। नलकूप आपरेटरों की नियुक्ति नहीं होने से निजी कर्मचारियों को रखा गया है इनकों मानदेय देना पड़ता है। शासन की ओर से मार्च माह के बाद कोई बजट नहीं मिला है। समस्या विकराल हो गई है।

वर्जन

शासन से धन नहीं मिला को 58 नलकूपों को बंद करने के अतिरिक्त और कोई मार्ग शेष नहीं बचेगा। पैसा नहीं होने से यांत्रिक दोषों को दूर करने और पाइपों की मरम्मत में कठिनाई आ रही है। लाखों रुपये का विद्युत देय भी बकाया है। एक्सईएन जलनिगम एके शर्मा


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