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विभाग की लापरवाही से गरीब की छिनी छत

जागरण संवाददाता सकलडीहा (चंदौली) वर्ष 12016-17 में धरहरा के वनवासी लालमन का नाम जब प्रधान था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 06:25 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 10:25 PM (IST)
विभाग की लापरवाही से गरीब की छिनी छत
विभाग की लापरवाही से गरीब की छिनी छत

जागरण संवाददाता, सकलडीहा (चंदौली) : वर्ष 12016-17 में धरहरा के वनवासी लालमन का नाम जब प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों की सूची में दर्ज हुआ तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। लेकिन उसकी खुशी उस वक्त काफूर हो गई। जब विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही से 44 हजार रुपये की पहली किस्त किसी और के खाते में स्थानांतरित कर दी गई। लापरवाही की हद तो यह कि काफी लिखा-पढ़ी के बावजूद दूसरी किस्त के 70 हजार रुपये भी उसी खाते में स्थानांतरित कर दिए गए। अब यह मामला जिलाधिकारी तक जा पहुंचा है। जांच अधिकारी परियोजना निदेशक सुशील कुमार ने माना कि मामला गंभीर है और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित को न्याय दिलाया जाएगा।

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वर्ष 2016-17 में धरहरा वनवासी बस्ती के अति निर्धन लालमन को प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों में चयनित किया गया। आंधी-पानी में फूस की झोपड़ी में किसी तरह जीवन यापन कर रहे लालमन पक्के मकान में रहने का स्वप्न देखने लगे। लेकिन काफी प्रतीक्षा के बाद भी उनका आवास नहीं बन पाया तो असहाय लालमन ने गांव के ही भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य अमित सिंह से गुहार लगाई। अमित ने जब मामले में आरटीआइ डाली तो जवाब पढ़कर सकते में रह गए। तत्कालीन सचिव ने जो जवाब दिया वह सरकारी सिस्टम पर बड़े प्रश्न खड़े करता है। जवाब में उन्हें बताया गया कि लालमन के आवास के निर्माण के लिए आई 44 हजार की पहली किस्त उनके खाते के स्थान पर विशुनपुरा निवासी संजू के खाता में स्थानांतरित हो गई है। जिसकी वापसी के लिए उक्त खाता धारक से पत्राचार किया जा रहा है। इसके बाद अमित ने इसकी मौखिक व लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से समाधान दिवस में किया। दिलचस्प बात यह कि अधिकारी जब तक इस मामले की गंभीरता से जांच में जुटे। तभी दूसरी किस्त भी उसी खाते में स्थानांतरित कर दी गई। अमित सिंह बताते हैं कि अधिकारियों की बदनीयती साफ जाहिर है। चकिया में भी ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। संदेह है कि पूरे जनपद में ऐसे कई मामले हुए होंगे। जिनमें गरीब की छत छिन गई होगी। आखिरकार उन्होंने इसकी शिकायत कैबिनेट मंत्री व सांसद महेंद्र नाथ पांडेय से कर दी। तब जिले के आला अधिकारियों की तंद्रा टूटी। आनन-फानन जांच पीडी को सौंपी गई। पीडी ने अपनी जांच में हद दर्जे की लापरवाही पाई और कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर ऊंगली उठाई। परियोजना निदेशक ने बताया कि मामले में संबंधित अधिकारी सहित एकाउंटेंट व सचिव की संलिप्तता है। इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित को न्याय दिलाया जाएगा।


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