हुजूर आखिर कब तक सड़कों पर हिचकोले खाएंगे ग्रामीण
प्रदेश सरकार से लगायत केंद्र सरकार गांव की तस्वीर बदलने को कई योजनाएं संचालित कर रही हैं।ग्राम पंचायतों को गांव के विकास के लिए बजट के साथ ही सुबिधायें बढ़ाने पर जोर दे रही हैं।सरकार के इस प्रयास को गांवों की ओर जाने वाली सड़कें मुंह चिड़ा रही हैं।उखड़ी गिट्टियां व जानलेवा गड्ढे ग्रामीणों को दर्द से कराहने को मजबूर कर रही हैं।आलम यह है कि गड्ढे में तब्दील हो चुकी सड़कों पर चलना जोखिम भरा हैं।
जासं, पड़ाव (चंदौली) : केंद्र व प्रदेश सरकार गांव की तस्वीर बदलने को तमाम योजनाएं चला रही। विकास के लिए बजट के साथ ही सुविधाएं बढ़ाने पर पूरा जोर है। इन प्रयासों के बाद भी गांवों की ओर जाने वाली सड़कें सरकार के मिशन को मुंह चिढ़ा रहीं। सड़कों पर उखड़ी गिट्टियां, जानलेवा गड्ढे ग्रामीणों को दर्द से कराहने को मजबूर कर दे रहे हैं। आलम यह कि गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कों पर चलना किसी प्रतियोगिता से कम नहीं। जरा सी नजर भटकी नहीं कि दुर्घटना निश्चित है। सड़कों की जर्जर हालत, उखड़ी गिट्टियां, गड्ढों में आखिर तक ग्रामीण हिचकोले खाते रहेंगे। हुजूर इस समस्या से कब मुक्ति मिलेगी। जी हां सड़कों की जर्जरता व विभाग की उदासीनता देखनी है तो क्षेत्र के पुरैनी से सिघीताली बाइपास मार्ग, भुजहुवां से पीडीडीयू नगर मार्ग के अलावा साहूपुरी से पीडीडीयू जंक्शन जाने वाले मुख्य मार्ग पर एक बार चले आएं। सड़कों की हालत खुद-ब-खुद विकास की पोल खोल देंगी।
पुरैनी, धोबिया के पुरा, सैदपुर, फत्तेहपुर, व्यासपुर, मन्नापुर, गौरइया, भुजहुवां, नीबूपुर, चांदीतारा मार्गों से हजारों लोगों का आवागमन है। तहसील, रेलवे स्टेशन सहित जिला मुख्यालय इन्हीं मार्गों से आवाजाही होती है। लेकिन सड़कों पर हिचकोले खाते हुए, दुर्घटना से बचते-बचाते लोग गंतव्य तक पहुंचते हैं। भाजपा की सरकार बनने के कुछ समय बाद ही मुख्यमंत्री ने सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए समय सीमा तय की थी। सड़कों को दुरुस्त करने में तमाम विभाग लग गए। ज्यादातर मुख्य मार्गों को गड्ढामुक्त कर, सरकार से वाहवाही बटोरी। ग्रामीणों में आस जगी थी कि अब गांवों के ओर जाने वाली सड़कों का भी कायाकल्प होगा। कितु ग्रामीणों की यह उम्मीद आज तक पूरी नहीं हो सकी। विकास की तस्वीर बयां करने वाली सड़कें आज भी अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रही हैं। गिट्टी उखड़ने से 24 घंटे धूल उड़ रही। पैदल चलना भी मुश्किलों भरा है। दिन में तो ग्रामीण बच बचा कर किसी तरह आते-जाते हैं लेकिन सूर्यास्त होने के बाद रात के अंधेरे में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सहित संबंधित विभाग के अधिकारियों से मार्ग मरम्मत की गुहार लगाई लेकिन आश्वासन ही मिलता है।