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मनरेगा श्रमिकों के गले की फांस बनी आनलाइन हाजिरी, काम के बावजूद दाम नहीं मिलने से योजना से हो रहा मोह भंग

काम के बावजूद दाम नहीं मिलने से जहां श्रमिकों का योजना से मोह भंग हो रहा है वहीं लक्ष्य के सापेक्ष मानव दिवस में भी कमी आने लगी है। पंचायत प्रतिनिधि गांवों में अब मनरेगा के तहत कार्य कराने से भी परहेज करने लगे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Thu, 25 May 2023 01:37 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2023 01:37 PM (IST)
मनरेगा श्रमिकों के गले की फांस बनी आनलाइन हाजिरी, काम के बावजूद दाम नहीं मिलने से योजना से हो रहा मोह भंग
मनरेगा श्रमिकों के गले की फांस बनी आनलाइन हाजिरी

 जागरण संवाददाता, चंदौली : शासन की ओर से भले ही मनरेगा में पारदर्शिता लाने को हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आनलाइन हाजिरी की व्यवस्था श्रमिकों के गले की फांस बन गई है।

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काम के बावजूद दाम नहीं मिलने से जहां श्रमिकों का योजना से मोह भंग हो रहा है, वहीं लक्ष्य के सापेक्ष मानव दिवस में भी कमी आने लगी है। पंचायत प्रतिनिधि गांवों में अब मनरेगा के तहत कार्य कराने से भी परहेज करने लगे हैं।

जनपद में मनरेगा के तहत कुल जाब कार्ड की संख्या 2.63 लाख है। इसमें 1.59 लाख श्रमिक कार्य में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। हाल के दिनों में सरकार ने अब मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी को बढ़ाकर 230 रुपये कर दिया है।

मजदूरी बढ़ने से श्रमिकों का रूझान मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों के प्रति बढ़ा, लेकिन आनलाइन हाजिरी उनके लिए मुसीबत का सबब बन गई है।

मोबाइल एप से हाजिरी, लोकेशन, डाटा अपलोड आदि को सर्वर पर अपलोड करने में समस्या आने से श्रमिक निराश हैं। यदि श्रमिक ने पांच दिन कार्य किया है और हाजिरी दो दिन ही दिख रही तो उसे तीन दिन के पारिश्रमिक का नुकसान सहना पड़ रहा है।

पारदर्शिता के लिए लागू की गई आनलाइन हाजिरी ने पंचायत प्रतिनिधियों को भी परेशान कर दिया है। श्रमिक सीधे तौर पर ग्राम प्रधान पर पैसा नहीं मिलने का दोष मढ़ दे रहे हैं। इससे ग्राम प्रधानों की भी अब मनरेगा के तहत कार्य कराने में रुचि कम होती जा रही है।

बीते वित्तीय वर्ष 2022 की ही बात करें तो निर्धारित 2214092 मानव दिवस के सापेक्ष आनलाइन हाजिरी के कारण ही लक्ष्य पूर्ण नहीं हो पाया।

आनलाइन हाजिरी का सबसे बड़ा दंश अनपढ़ और अकुशल श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है। श्रमिक गुलाब, मुरली, मोतीराम ने कहा कि आनलाइन हाजिरी उनके गले की फांस बन गई है।

आनलाइन हाजिरी में आ रही समस्या के बाबत शासन स्तर पर जानकारी दी गई है, ताकि श्रमिकों को उनकी मजदूरी का भुगतान हो सके।- एसएन श्रीवास्तव, मुख्य विकास अधिकारी

कोविड काल में श्रमिकों का सहारा बनी मनरेगा

कोविड काल के दौरान विभिन्न प्रांतों से अपने गांव लौटे श्रमिकों के लिए मनरेगा योजना सहारा बनी थी। गांव में काम मिलने के कारण श्रमिक परिवारों की आजीविका पटरी पर आई थी। योजना ने महानगरों से लौटे लाखों मजदूरों का भरण पोषण कर देश को बड़ी आपदा से उबारा था।

वहीं, पानी, तालाब, नदी के तटबंध, रजवाहे, नहर, मेड़बंदी, रास्तों व सड़क की मरम्मत, पेड़ों व खेतों को सुरक्षित कर पलायन के रोग से बेजार हो रही गांवों की सेहत भी योजना से सुधरी है।


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