खेवनहार की तलाश में गड़ई नदी का बूढ़ा पुल
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जासं, चकिया (चंदौली) : लोकसभा चुनाव में गड़ई नदी का जर्जर बूढ़ा पुल मुद्दा बनेगा। पुल निर्माण का वायदा करते हुए चुनाव दर चुनाव वोट तो हासिल किया जाता लेकिन जीतने के बाद इसे भूल जाते हैं। नये पुल का निर्माण एक वर्ष से अधर में लटका है। इससे लोग चितित व परेशान हैं। इसे चुनावी लड़ाके मुद्दा बनाए या न बनाएं लेकिन क्षेत्रीय लोग मुद्दा बनाकर तैयार हैं।
दो जनपदों को जोड़ने वाले गड़ई नदी के जर्जर पुल को लेकर खूब राजनीति रोटी सेंकी गई। पुल निर्माण का वायदा कर प्रत्याशियों ने वोट हासिल करने का हथकंडा बनाया। पर नया पुल का निर्माण अधर में है। चकिया-अहरौरा सड़क मार्ग के अमरा दक्षिणी गांव के पास गड़ई नदी पर ब्रिटिश शासन काल में बना पुल अंतिम सांसें ले रहा। बावजूद इसके ओवरलोड वाहनों का संचालन हो रहा। इससे दुर्घटना की आशंका बराबर बनी रहती है। गड़ई नदी पर 54 मीटर लंबे नए पुल निर्माण के लिए 5 फरवरी 2015 को तीन करोड़ तीन लाख 19 हजार स्वीकृत हुआ। ठेकेदारी प्रथा से पुल का निर्माण 19 सितंबर 2015 को बकायदा हवन पूजन के साथ प्रारंभ हो गया। निर्देश था पुल का निर्माण 18 मई 2016 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। लेकिन धनाभाव के कारण निर्माण पूरा नहीं हो सका। पूर्व प्रधान राम चंद्र यादव, रामलाल यादव, जय शंकर मिश्र, रामप्रवेश यादव, बलवन्त मौर्य, सीता विश्वकर्मा कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में यह पुल मुद्दा बनेगा।