नियम से चलाएं गाड़ी तो कभी न हो दुर्घटना
वाहन चालक नियम से गाड़ी चलाएं तो कभी दुर्घटना ही न हो। लेकिन स्थिति इसके उलट। अक्सर छोटे बच्चे, युवक बिना लाइसेंस के वाहन के साथ भीड़ भाड़ वाले इलाके में भी फर्राटे भरते रहते हैं। ऐसे वाहनों को देखकर ही लोग मान लेते हैं यहां नहीं तो वहां जाकर चालक धोखा खाएगा।
जागरण संवाददाता, चंदौली : वाहन चालक नियम से गाड़ी चलाएं तो कभी दुर्घटना ही न हो लेकिन स्थिति इसके उलट। अक्सर छोटे बच्चे, युवक बिना लाइसेंस के वाहन के साथ भीड़ भाड़ वाले इलाके में भी फर्राटे भरते रहते हैं। ऐसे वाहनों को देखकर ही लोग मान लेते हैं यहां नहीं तो वहां जाकर चालक धोखा खाएगा। वाहन जांच में ऐसे लोग पकड़े भी जाते हैं लेकिन जांच अधिकारियों के हाथ पांव पकड़कर वे छूट जाते हैं। कुछ दिन तो उनमें डर जरूर रहता है लेकिन पुन: उसी ढर्रे पर आ जाते हैं।
सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम चल रहा है लेकिन ऐसे नौसिखिए चालक अनगिनत दिखते हैं। जबकि नियम तो यह है कि ड्राइ¨वग लाइसेंस को कम से कम 18 वर्ष उम्र हो और वह कक्षा दस पास हो। इसी से उसकी उम्र का पता चलता है। लाइसेंस जारी करने के दौरान ही उसे संकेतकों का ज्ञान, कहां ब्रेक लगाना है, किस तरह चलना है, वाहन की क्या स्पीड होनी चाहिए इन सबका ज्ञान होने पर ही लाइसेंस की बाधा पार कर पाता है। चूंकि लाइसें¨सग अधिकारी के यहां जो आवेदन आते हैं वे इन प्रक्रियाओं से गुजरकर ही वाहन चलाने का अधिकार पाते हैं। इसके लिए विभागों की ओर चलाए जा जा रहे जागरूकता अभियान भी नाकाफी हैं। दावा जरूर किया जाता है कि स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों पर उन्होंने अभियान चलाया लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखता। 'वाहन चालकों को बाकायदा परीक्षा के आधार पर ही लाइसेंस जारी किया जाता है। समय-समय पर जागरूकता अभियान व वाहन जांच भी होती है। कार्रवाई भी की जाती है।
विजय प्रकाश ¨सह, एआरटीओ प्रवर्तन