.. लॉकडाउन ने बदल दी शिक्षा प्रणाली की तस्वीर
कोरोना के कहर से कोई भी अछूता नहीं है। इसका असर शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ा है। लॉकडाउन ने शिक्षा की तस्वीर बदल दी है। सीबीएसई आइसीएसई बोर्ड के साथ ही विश्वविद्यालयों की परीक्षा बीच में ही रोकनी पड़ी। यूपी व मदरसा बोर्ड की परीक्षा समाप्त हुई तो उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन अधर में लटक गया। वहीं संस्कृत बोर्ड की परीक्षाएं शुरू ही नहीं हो सकीं। स्कूल कालेजों में ताला लटकने के चलते नया शेक्षिक सत्र अप्रैल माह से शुरू नहीं हो सका।
जितेंद्र उपाध्याय
चंदौली : कोरोना के कहर ने शिक्षा की तस्वीर ही बदल दी है। सीबीएसई, आइसीएसई बोर्ड के साथ ही विश्वविद्यालयों की परीक्षा बीच में ही रोकनी पड़ी। यूपी व मदरसा बोर्ड की परीक्षा समाप्त हुई तो उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन अधर में लटक गया। वहीं संस्कृत बोर्ड की परीक्षाएं शुरू ही नहीं हो सकीं। स्कूल, कालेजों में ताला लटकने के चलते नया शैक्षिक सत्र अप्रैल माह से शुरू नहीं हो सका। हालांकि पढ़ाई की जरूरतों ने आनलाइन शिक्षा के द्वार खोल दिए। उधर सरकार शिक्षा प्रणाली को पटरी पर लाने के लिए कवायद कर रही है। लेकिन कोरोना के आगे किसी का वश नहीं चल पा रहा। तकनीकी के सहारे चल रही वर्तमान शिक्षा प्रणाली कारगर साबित होगी या नहीं, यह तो भविष्य ही तय करेगा। लेकिन यह तय हो गया कि छात्रों का जाने वाला और आने वाला शैक्षिक सत्र बिगड़ गया है।
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मूल्यांकन ठप होने से रिजल्ट में देरी
यूपी बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 25 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन कई जिलों में हाट स्पाट एरिया में मूल्यांकन केंद्र होने के चलते माध्यमिक शिक्षा परिषद को पुन: विचार करना पड़ रहा। लॉकडाउन खुलने के बाद ही कापियों को जांचने की प्रक्रिया आरंभ हो सकती है। वैसे देश में जिस तरह कोरोना संक्रमितों की तादात बढ़ रही, उससे नहीं लगता कि जल्द लॉकडाउन समाप्त होगा। लॉकडाउन के लंबा चलने की स्थिति में मूल्यांकन ठप होने से रिजल्ट आने में देरी होगी। ऐसे में छात्रों के उज्जवल भविष्य पर कोरोना की काली छाया पड़ सकती है। वे न तो अगली कक्षाओं में प्रवेश ले सकते हैं और न ही प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग।
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गांव-गिरांव में कारगर नहीं ई-लर्निंग
आनलाइन शिक्षा प्रणाली नगरीय इलाकों व बड़े शहरों में ही कारगर साबित हो सकती है। गांव-गिरांव में इसको लेकर तमाम बाधाएं हैं। ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग सोशल साइट्स से भलीभांति परिचित नहीं है। ऐसे में वाट्सएप, जूम क्लास, वीडियो कांफ्रेंस व लाइव क्लास, यू-ट्यूब लाइव क्लास या रिकॉर्ड वीडियो, सीपीडी आनलाइन, बाइजू, खान एकेडमी पोर्टल, माइक्रोसाफ्ट मीट, गूगल क्लास, टाटा स्मार्ट क्लास, वाट्सएप पर किताबों की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करना उनके बस की बात नहीं है। इसके चलते सरकार की इस कवायद के लाभ से ग्रामीण इलाके के बच्चे वंचित हैं। वहीं जनपद में 30 फीसदी माध्यमिक व पांच फीसदी परिषदीय स्कूल ही आनलाइन क्लासेज को सही ढंग से संचालित कर पा रहे हैं। -----------------
' कोरोना वायरस की मार का असर है। वैसे तो आन लाइन पढ़ाई हो रही लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह दिक्कत है। छात्र इसके लिए अपने शिक्षकों से संपर्क करें और घरों में रहकर ही पढ़ाई करें। सरकार का जो निर्णय है उसी के अनुसार सब चल रहा है।
डा. विनोद राय, डीआइओएस