श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग देख श्रोता भाव विभोर
दुर्गा मंदिर परिसर में चल रही रासलीला में गुरुवार की रात वृंदावन के कलाकारों ने श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का मार्मिक मंचन किया। श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा के पैर से कांटा निकालने का ²श्य देख श्रोता भाव विभोर हो गए। रास रचाए वृंदावन में व छोटी-छोटी गैया छोटे-छोटे ग्वाल.. पर नृत्य कर दर्शकों का कलाकारों ने मन मोह लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने जंगल में मिले सुदामा के पैर में चुभा कांटा मुख से निकाला एवं मित्रता करके अपने रथ में बैठा कर गुरु संदीपनी के आश्रम में ले
जासं, नौगढ़ (चंदौली) : दुर्गा मंदिर परिसर में चल रही रासलीला में गुरुवार की रात वृंदावन के कलाकारों ने श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का मार्मिक मंचन किया। श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा के पैर से कांटा निकालने का ²श्य देख श्रोता भाव विभोर हो गए। रास रचाए वृंदावन में व छोटी-छोटी गैया छोटे-छोटे ग्वाल.. पर नृत्य कर दर्शकों का कलाकारों ने मन मोह लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने जंगल में मिले सुदामा के पैर में चुभा कांटा मुख से निकाला एवं मित्रता करके अपने रथ में बैठा कर गुरु संदीपनी के आश्रम में ले गए। गुरु ने कृष्ण एवं सुदामा को पाठ याद न करने के कारण दो मुट्ठी चना देकर जंगल में लकड़ी लेने के लिए भेजा, जहां वर्षा होने पर एक वृक्ष के नीचे रुक गए। सुदामा ने चोरी से सारे चने खा लिए। सुदामा का जीवन गरीबी में व्यतीत होने के प्रसंग में उनकी पत्नी सुदामा को बताती हैं कि पालनहार द्वारिकाधीश आपके बचपन के मित्र हैं। पत्नी ने सुदामा को उपहार स्वरूप चावल देकर भेजा। बाल सखा सुदामा का नाम सुनते ही श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़ कर चले आते हैं और गले लगा कर रोने लगते हैं। श्री कृष्ण पोटली को छीन कर देखते हैं और उन चावलों को खाने लगते हैं।एक मुट्ठी खाते ही सुदामा को एक लोक देते हैं दूसरी मुट्ठी चावल खाते हैं दूसरा लोक और तीसरी मुट्ठी खाते समय रुक्मणी रोक देती है। यह ²श्य देख उपस्थित लोगों की आंखें भर आईं। इसके पूर्व ग्राम प्रधान प्रभु नारायण जायसवाल व दीपक गुप्ता ने राधे कृष्ण की झांकी की आरती उतारी। तहसीलदार आनंद कनौजिया, सुनील केशरी, यशवंत सिंह यादव, श्रवण कुमार, मनीष जायसवाल, जमुना गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।