करवाचौथ के दिन मिली पति की हत्या में आजीवन कारावास की सजा
जागरण संवाददाता वाराणसी करवाचौथ के दिन एक तरफ महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए
जागरण संवाददाता, वाराणसी :
करवाचौथ के दिन एक तरफ महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए व्रत रखी थी, ठीक उसी समय बनारस की अदालत में एक महिला को अपने पति की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। गुरुवार को अदालत ने मृतक की पत्नी अपर्णा सिंह के अलावा वैष्णव नगर कालोनी, सुसुवाही निवासी कुमार यश वर्धन सिंह, जंसा थाना क्षेत्र के हरसोस गाव के धमर्ेंद्र पटेल, अनिल प्रजापति व दिनेश सिंह पटेल को उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण) रामचंद्र की अदालत ने साक्ष्य मिटाने के अपराध में भी दंडित किया है। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह ने पैरवी की। इस मामले में मृतक की पुत्री के नाबालिग होने के चलते उसका मामला किशोर न्याय बोर्ड में लंबित है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार चंदौली के सेरुका गाव निवासी विनोद सिंह ने 21 दिसंबर 2015 को रोहनिया थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका छोटा भाई सच्चिदानंद सिंह अपने परिवार के साथ चितईपुर स्थित विश्वकर्मा नगर कालोनी में रहता है। पराये पुरुषों से दोस्ती रखने के कारण उसका अपने पत्नी अपर्णा सिंह व पुत्री दिव्याशी से अक्सर विवाद होता था। उसने सच्चिदानंद के मोबाइल पर 18 दिसंबर 2015 को फोन किया तो वह स्विच ऑफ था। शक होने पर वह 19 दिसंबर 2015 को चितईपुर स्थित उसके आवास पर गया तब ताला बंद मिला। वहीं गौतम नगर कॉलोनी (चितईपुर) निवासी यशवर्धन सिंह मिला और कहा मुझसे गलती हो गई है, हमें बचा लीजिये। वहीं पत्नी अपर्णा सिंह और पुत्री दिव्याश फरार थी। इस बीच अगले दिन रोहनिया थाना क्षेत्र में शव मिलने की सूचना पर जब वह वहा पहुंचा तो पता चला कि शव बीएचयू पोस्टमार्टम हाउस में रखा है। वहा उसके भाई की ही शव रखी थी। इस मामले में पुलिस ने मृतक की पत्नी अपर्णा सिंह, पुत्री दिव्याशी, कुमार यशवर्धन सिंह, धमर्ेंद्र पटेल, अनिल प्रजापति व दिनेश सिंह पटेल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
मफलर से गला दबाकर हुई थी हत्या -
केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने विवेचना शुरू की तो पता चला सच्चिदानंद की मफलर से गला कसकर हत्या की गई थी। मामला तब गहराया जब घटना के दौरान पत्नी और उसके साथी फरार हो गए। हत्या का साक्ष्य मिटाने के लिए अभियुक्तों ने अन्यत्र फेंक दिया था। अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 13 गवाहों को परीक्षित कराये गए थे। अदालत ने गवाहों के बयान तथा पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर पाचों अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
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