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ग्राम अदालत के विरोध में उतरे वकील

प्रदेश सरकार के ग्राम अदालत के प्रस्ताव के विरोध में अधिवक्ता शुक्रवार को न्यायिक कार्यों से विरत रहे। मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल को सौंपकर प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाई। साथ ही न्यायालय भवन के अभाव में होने वाली दुश्वारियों से भी अवगत कराया। डीएम ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 12:15 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 06:25 AM (IST)
ग्राम अदालत के विरोध में उतरे वकील
ग्राम अदालत के विरोध में उतरे वकील

फोटो : 28- मुख्यमंत्री को संबोधित पत्रक डीएम को सौंपा, जताया विरोध

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असहमति::

- न्यायालय भवन के अभाव में होने वाली दुश्वारियों से कराया अवगत

- कहा, सरकार की ओर प्रस्तुत ग्राम अदालत का प्रस्ताव अव्यवहारिक

-------- जागरण संवाददाता, चंदौली : प्रदेश सरकार के ग्राम अदालत के प्रस्ताव के विरोध में अधिवक्ता शुक्रवार को न्यायिक कार्यों से विरत रहे। मुख्यमंत्री के नाम संबोधित पत्रक जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल को सौंप प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाई। साथ ही न्यायालय भवन के अभाव में होने वाली दुश्वारियों से भी अवगत कराया। डीएम ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा सरकार की ओर प्रस्तुत किया गया ग्राम अदालत का प्रस्ताव अव्यवहारिक है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में तमाम तरह की दिक्कतें आएंगी। सरकार को अपने प्रस्ताव पर पुनर्विचार करना चाहिए। कहा जनपद सृजन के 20 वर्षों के बाद भी न्यायालय भवन के निर्माण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। इसके चलते न्यायिक अधिकारियों के साथ ही वादकारियों व अधिवक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। डीएम ने कहा न्यायालय भवन का निर्माण शुरू कराने को जिला प्रशासन पहल करेगा। महामंत्री दुर्गेश पांडेय, राजेंद्र तिवारी, चंद्रमौली उपाध्याय, राजबहादुर सिंह, राकेशरत्न तिवारी आदि मौजूद थे। ---------

न्यायिक कार्य से विरत रहे अधिवक्ता जासं, चकिया(चंदौली): बार काउंसिल ऑफ उप्र के आह्वान पर शुक्रवार को स्थानीय बार के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे। एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। वक्ताओं ने कहा ग्राम न्यायालयों की स्थापना आधारभूत सुविधाओं को पूरा किए बगैर नहीं किया जाना चाहिए। यह अधिवक्ताओं के हित में नहीं है। जजों, न्यायिक अधिकारी और कर्मचारियों के पद रिक्त होने से न्याय में विलंब हो रहा है। ऐसे में पूरी तैयारी के साथ ग्राम न्यायालयों की स्थापना नहीं की गई तो मुश्किलें बढ़ेंगी और सामाजिक व्यवस्था पर भी विपरीत असर पड़ेगा। महामंत्री बाबूलाल सुनील द्विवेदी, सुरेंद्र तिवारी, जटाशंकर चौबे, गोविद प्रसाद पांडे फिरोज अहमद, पीके सिंह, रणजीत सिंह, राकेश गुप्ता आदि अधिवक्ता उपस्थित थे।


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