ऐतिहासिक गांव हेतमपुर विकास से कोसों दूर
ऐतिहासिक महत्व के हेतमपुर गांव में आज भी विकास की किरण नहीं दिखती। लगातार 25 वर्षों से प्रधान पद पर काबिज जनप्रतिनिधि ने गांव के विकास के लिए अब तक कुछ नहीं किया। पंचायत भवन परिसर झाड़ियों व ऊंची घास से पटा है। गलियों का खड़जा उखड़ गया है। जबकि हेतमपुर किले के कारण पुरातत्व विभाग इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को प्रयासरत है। गांव में आजादी के सात दशक
जासं, सकलडीहा (चंदौली) : ऐतिहासिक महत्व के हेतमपुर गांव में आज भी विकास की किरण नहीं दिखती। लगातार 25 वर्षों से प्रधान पद पर काबिज जनप्रतिनिधि ने गांव के विकास के लिए अब तक कुछ नहीं किया। पंचायत भवन परिसर झाड़ियों व ऊंची घास से पटा है। गलियों का खड़जा उखड़ गया है। जबकि हेतमपुर किले के कारण पुरातत्व विभाग इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को प्रयासरत है।
गांव में आजादी के सात दशक बाद भी ग्रामीण बिजली, पानी व रास्ते जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गांव की किसी भी गली में खड़जा का साबूत नहीं दिखता। पंचायत भवन खंडहर में तब्दील होने के कगार पर है। पूरा परिसर घुटने तक ऊंची घास व नाबदान से बजबजा रहा है। यही नहीं ग्राम समाज के तालाब व कई रास्तों पर अतिक्रमण को रोकने की जहमत नहीं उठाई गई। दिलचस्प बात यह कि ग्रामीण ग्राम प्रधान को पिछले पांच कार्यकाल से लगातार अपना रहनुमा चुनते आ रहे हैं। सवाल यह उठता है कि पिछले पच्चीस वर्षों से विकास के लिए आ रहे धन का प्रयोग कहां किया गया। गांव के संजीव श्रीवास्तव, शिवकुमार उपाध्याय, विद्याभूषण उपाध्याय, जयप्रकाश ने कहा पांच बार से लगातार ग्रामीणों द्वारा भरोसा जताने के बाद भी गांव के विकास में रुचि नहीं दिखाई गई।
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वर्जन
गांव में कराए गए विकास कार्यों की जांच कराई जाएगी। खामियां मिलने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सुशील कुमार मिश्र, खंड विकास अधिकारी