कृष्ण-सुदामा की कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर
आज मित्रता मात्र स्वार्थ पर आकर टिक गई है लेकिन मित्रता का संबंध एक ऐसा संबंध है जिससे बड़ा संबंध ना तो कोई है और ना ही होगा। मित्रता अपने आप में एक परिपूर्ण रिश्ता है जैसी किसी भी वस्तु के लिए कोई भी स्थान नहीं होता है। भागवत में कृष्ण और सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए स्वयं कृष्ण ने इस संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है।
जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : आज मित्रता मात्र स्वार्थ पर टिक गई है, लेकिन मित्रता से बड़ा कोई संबंध नहीं है। मित्रता अपने आप में एक परिपूर्ण रिश्ता है। भागवत में कृष्ण व सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए स्वयं कृष्ण ने इस संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है। उक्त बातें पटेल नगर स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के सातवें दिन मंगलवार को वृंदावन से आए अर्जुनकृष्ण शास्त्री ने कही।
कहा कि सुदामा गरीबी की मार झेल रहे थे। उनकी पत्नी सुशीला ने कहा स्वामी द्वारकाधीश आपके बचपन के मित्र हैं। आप उनके यहां जाएंगे तो श्रीकृष्ण आपकी मदद करेंगे। सुदामा ने कहा विपत्तियों में कहीं नहीं जाना चाहिए। अगर मैं वहां जाता हूं तो मेरे पास कुछ ले जाने के लिए नहीं है। सुशीला पड़ोस के घर से दो मुट्ठी चावल लेकर आती है और अपने आंचल में बांधकर सुदामा को देती हैं। द्वारपाल श्रीकृष्ण को बताते हैं कि एक भिखारी आया है। कह रहा है कि कृष्ण मेरा मित्र है और अपना नाम सुदामा बता रहा है। यह सुनते ही श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़ते हुए सुदामा के पास पहुंचे और अपने सीने से लगा लिया। सुरेंद्रनाथ तिवारी, संतोष तिवारी, सतीश, रंजू यादव, मिथिलेश, लल्लन सिंह, वीरेंद्र शर्मा, मालती गुप्ता, आनंद तोदी आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।