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सरकारी आवास में नहीं रहते स्वास्थ्य कर्मी

कस्बा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बने कर्मचारी आवास में किसी स्वास्थ्य कर्मी के नहीं रहने से वीरान पड़ा हुआ है। लाखों रुपये लागत से बना आलीशान कर्मचारियों की बाट जोह रहा है। वहीं अस्पताल का संचालन संविदा चिकित्सक के सहारे जैसे- तैसे हो रहा है। चिकित्सकीय सुविधाओं का घोर अभाव है। इसके चलते लोगों को सेहत की इलाज को यहां-वहां भागदौड़ करनी पड़ती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 05:16 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 05:16 PM (IST)
सरकारी आवास में नहीं रहते स्वास्थ्य कर्मी
सरकारी आवास में नहीं रहते स्वास्थ्य कर्मी

जासं, इलिया (चंदौली) : कस्बा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बने कर्मचारी आवास में किसी स्वास्थ्य कर्मी के नहीं रहने से वीरान पड़ा हुआ है। लाखों रुपये की लागत से बना आलीशान भवन कर्मचारियों की बाट जोह रहा है। अस्पताल का संचालन संविदा चिकित्सक के सहारे जैसे-तैसे हो रहा है। चिकित्सकीय सुविधाओं का घोर अभाव है। लोगों को इलाज के लिए भागदौड़ करनी पड़ती है।

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यूपी-बिहार की सीमा से सटे नक्सल प्रभावित स्थानीय पीएचसी में स्वास्थ्य कर्मियों को निवास करने के लिए बाकायदा अलग -अलग आवास बनाए गए हैं। लेकिन आवास जब से बने हैं, ताला बंद है। इन भवनों की सफाई करने वाला भी कोई नहीं है। स्वीपर का पद रिक्त है। इसके चलते अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा है। इसके अलावा यहां एएनएम, फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वॉय सहित चिकित्सक की नियुक्ति है। एनएमए, एलए का पद खाली पड़ा है। इससे मरीजों को खून, पेशाब, बलगम सहित कुष्ठ रोग की जांच कराने को दूरी तय करनी पड़ रही है। मौजूदा समय में भवन में मात्र संविदा चिकित्सक ही रहते हैं। स्वास्थ्य कर्मी रात में आवासों में प्रवास नहीं करते हैं। इसके चलते मरीजों को 15 किलोमीटर दूर शहाबगंज व चकिया के सरकारी अस्पतालों की शरण लेना पड़ती है। क्षेत्रवासियों ने मुख्य चिकित्साधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कर्मचारियों को रात्रि में आवास में रहने की व्यवस्था कराने की मांग की है।


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