किसानों को मृदा जांच व बागवानी की खेती को किया प्रोत्साहित
उद्यान विभाग की ओर से मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में गुरुवार को दो दिवसीय गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। इसमें अन्नदाताओं को बागवानी की खेती के टिप्स दिए गए। साथ ही मृदा परीक्षण कराने को प्रोत्साहित किया गया। कृषि विशेषज्ञों ने बागवानी की खेती से होने वाले लाभ से अवगत कराया। साथ ही सरकार से मिलने वाले अनुदान के बारे में जानकारी दी। विभिन्न विभागों की ओर से स्टाल लगाकर भी लोगों को जागरूक किया गया।
जागरण संवाददाता, चंदौली : उद्यान विभाग की ओर से मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में गुरुवार को दो दिवसीय गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। इसमें अन्नदाताओं को बागवानी की खेती के टिप्स दिए गए। साथ ही मृदा परीक्षण कराने को प्रोत्साहित किया गया। कृषि विशेषज्ञों ने बागवानी की खेती से होने वाले लाभ से अवगत कराया। साथ ही सरकार से मिलने वाले अनुदान के बारे में जानकारी दी। विभिन्न विभागों की ओर से स्टाल लगाकर भी लोगों को जागरूक किया गया।
बीएचयू के कृषि विज्ञानी डा. आरएन मीणा ने कहा रासायनिक खाद के लगातार इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत बिगड़ती जा रही है। इसलिए मृदा में मौजूद सूक्ष्म तत्वों की जांच कराना जरूरी है। मिट्टी की जांच से पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है। इसके हिसाब से किसान उर्वरकों का इस्तेमाल करें तो जीवांश कार्बन का क्षरण नहीं होगा। उन्होंने बागवानी की खेती को लाभप्रद बताया। कहा किसान धान, गेहूं के साथ ही बागवानी की खेती करें। इससे दोहरा लाभ होगा। वहीं किसानों की आय में वृद्धि होगी। कृषि विज्ञानी डा. जसमीत सिंह ने कहा आयुर्वेदिक पद्धति से किसान बागवानी और सब्जियों की खेती कर सकते हैं। इस विधि से खेती करने पर किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा होगा। कृषि लागत में कमी आएगी और भरपूर उत्पादन मिलेगा। डा. आरएन पाठक ने अमरुद की खेती के बारे में जानकारी दी। बोले, बागवानी के तहत यदि अमरूद की खेती करें तो अच्छी आय होगी। डा. बीके त्रिपाठी ने कहा मृदा संरक्षण पर किसानों को जोर देना चाहिए। उपजाऊ भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा घटने से पैदावार पर असर पड़ता है। डा. एसके पाल ने कहा किसान सब्जियों और औषधीय खेती करके अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। कार्यशाला में विभिन्न विभागों की ओर से स्टाल लगाए गए थे। पशुपालन विभाग की ओर से गाय की अलग-अलग नस्लों का प्रदर्शन किया गया। वहीं उद्यान विभाग ने सब्जी की विभिन्न प्रजातियों के बारे में स्टाल के माध्यम से जानकारी दी। इस दौरान डा. समीर पांडेय, विश्वनाथ प्रताप सिंह, सुरेश मिश्रा, हरिश्चंद्र मौजूद थे।
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जेसीबी रही आकर्षण का केंद्र
क्षेत्र के जगदीशसराय हिनौता स्थित हरिओम सेवा आइटीआइ संस्थान के इलेक्ट्रिशियन प्रथम वर्ष के छात्रों ने डिस्पोजल से जेसीबी मशीन बनाई थी। मशीन के कंट्रोल पैनल के लिए 44 डिस्पोजल सिरिज का इस्तेमाल किया गया था। सिरिज खीचने और छोड़ने से जेसीबी मशीन मिट्टी खोदने और भरने का काम शुरू कर दे रही थी। छात्रों की यह प्रस्तुति लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। प्रधानाचार्य सत्येंद्र कुमार मिश्र मौजूद रहे।