आरपीएफ के कार्यों से हर कोई होगा वाकिफ, बनेगी डाक्यूमेंट्री
- संक्रमण काल में असहायों व श्रमिकों के लिए सेवा भाव से किया गया कार्य परदे पर होगा प्रदर्शित
- संक्रमण काल में असहायों व श्रमिकों के लिए सेवा भाव से किया गया कार्य परदे पर होगा प्रदर्शित जागरण विशेष ---
- कोरोना लाकडाउन के यादगार पलों को सहेजेगी आरपीएफ, मुख्यालय भेजी जाएगी क्लिप
- अभिनेता, कैमरामैन, एक्शनमैन की भूमिका में दिखेंगे जवान, कमाडेंट होंगे निदेशक
फोटो- 10 से 12 विवेक दुबे, पीडीडीयू नगर (चंदौली)
कोरोना काल में असहायों व श्रमिकों के लिए मददगार बने आरपीएफ जवानों के नेक कार्यों को जल्द ही लोग परदे पर देखेंगे। संक्रमण की चुनौती का सामना करते हुए सेवा करने वाले इन जवानों की चर्चा रेलवे बोर्ड में भी हो रही है। बोर्ड ने देश भर में रेलवे संपत्ति और ट्रेनों की सुरक्षा की कमान संभालते लोगों की मदद करने वाले जवानों पर डाक्यूमेंट्री बनाने का निर्देश दिया है। फिल्म में निदेशक, हीरो, कैमरामैन, एक्शनमैन की भूमिका में जवान ही दिखेंगे। कमांडेंट आशीष मिश्र के निर्देशन में फिल्म की शूटिग की तैयारी शुरू हो गई है।
रेल संपत्ति और ट्रेनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ के जिम्मे है। कोरोना संक्रमण काल में लोग घरों में कैद हो गए थे। प्रवासियों का पलायन शुरू हो गया था। इस मुश्किल घड़ी में जवानों ने भूखों का पेट भरने के साथ ही कोरोना योद्धा के रुप में बखूबी जिम्मेदारी निभाई थी। पूरी टीम मिलकर स्टेशन पर ही खाना पकवाती थी। इसके बाद खाने के पैकेट प्रवासी, गरीबों, जरूरतमंदों और श्रमिकों की बस्तियों में बंटवाए जाते थे। कोरोना वारियर्स के कार्यों को पूरी दुनिया देख सके, इसलिए डाक्यूमेंट्री बनाई जा रही है। श्रमिकों के लिए बने मददगार लाकडाउन ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया था। प्रवासी व स्थानीय मजदूरों की ज्यादा फजीहत थी। बड़े शहरों में काम करने गए लोगों का काम-धंधा बंद हो गया तो लोग घर वापसी करने लगे। श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सफर करने वाले श्रमिकों के लिए पीडीडीयू जंक्शन पर जवान तैनात रहते थे। भोजन व पानी के बोतल उपलब्ध कराते थे। यह ऐसा दौर था जब हमेशा गुलजार रहने वाले जंक्शन पर सियापा छा गया था। इसके अलावा हृदयपुर, छित्तमपुर, धरना आदि गांवों के 20 से अधिक घुमंतू बच्चों को संक्रमण से बचाव करते हुए दोनों वक्त का भोजन मुहैया कराया। कर्मनाशा स्टेशन से चली थी 47 ट्रेनें, 76 हजार पहुंचे थे घर
मंडल के कर्मनाशा स्टेशन से पहली बार श्रमिक स्पेशल ट्रेन का परिचालन किया गया। स्टेशन से लगभग 47 ट्रेनें चलीं और तकरीबन 76 हजार श्रमिकों को कोरोना काल में उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। खुद आरपीएफ कमांडेंट आशीष मिश्र ने कमान संभाली थी। कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने के लिए कमांडेंट ने एक कोच में एक यात्री को कोच कमांडर बनाने का नियम बनाया था। इसकी रेलवे बोर्ड ने भी प्रशंसा की थी। पीडीडीयू से गया तक रही धमक
ऐसा नहीं कि आरपीएफ की टीम केवल पीडीडीयू जंक्शन पर ही लोगों की मदद करने में लगी रही, बल्कि गया तक टीम ने धाक जमाई।
कोरोना संक्रमण काल में जवानों के जज्बे की हौसला अफजाई करने के लिए डाक्यूमेंट्री बनाई जा रही है। इस फिल्म में आरपीएफ के जवानों का सुरक्षा के साथ सेवा भाव का नया चेहरा दिखाई देगा।
- आशीष मिश्र , आरपीएफ कमांडेंट, पीडीडीयू मंडल