रमजान के दौरान करते गलत आदतों से तौबा
जासं, मुगलसराय (चंदौली) : रमजान का मतलब होता है प्रखर। रम•ान इस्लाम कैलेंडर का नौवां महीन
जासं, मुगलसराय (चंदौली) : रमजान का मतलब होता है प्रखर। रम•ान इस्लाम कैलेंडर का नौवां महीना होता है। माना जाता है कि सन 610 में लेयलत उल-कद्र के मौके पर मुहम्मद साहब को कुरान शरीफ के बारे में पता चला था। बस उसी समय से रमजान के इस माह को एक पवित्र महीने के तौर पर मनाया जाने लगा। रम•ान के दौरान एक महीने तक रो•ो रखे जाते हैं। इस दौरान, गलत आदतों से तौबा की जाती है। नए चांद के साथ शुरू हुए रोजे 30 दिन बाद नए चांद के साथ ही खत्म होते हैं।
उक्त बातें मौलाना सेराज अहमद ने जागरण से बातचीत के दौरान कही। बताया कि रोजे के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है। रोजे को निभाने के लिए कई नियम भी होते हैं। रो•ो का मतलब यह नहीं है कि आप खाएं तो कुछ न, लेकिन खाने के बारे में सोचते रहें। रोजे के दौरान खाने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। इस्लाम के अनुसार पांच बातें करने पर रो•ा टूटा हुआ माना जाता है। ये पांच बातें हैं- बदनामी करना, लालच करना, पीठ पीछे बुराई करना, झूठ बोलना और झूठी कसम खाना। रोजे का मतलब बस उस अल्लाह के नाम पर भूखे-प्यासे रहना ही नहीं है। इस दौरान आंख, कान और जीभ का भी रो•ा रखा जाता है। सुबह रोजे का नियम है कि सूरज निकलने से पहले ही उठकर रो•ादार खाना-पीना करे। सूरज उगने के बाद रोजदार सहरी नहीं ले सकते। सहरी की ही तरह रोजे का दूसरा अहम हिस्सा है इफ्तार। सहरी के बाद सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। सूरज अस्त होने के बाद रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं। रमजान के दौरान मन को भी शुद्ध रखना होता है। मन में किसी के लिए गलत ख्याल नहीं लाने होते और पांच बार की नमाज और कुरान पढ़ी जाती है।