सजावट के सामानों की दुकानों पर भीड़
रोशनी के पर्व दीपावली पर घर के रंग-रोगन के साथ साथ सजाने की भी परंपरा है। इसके लिए बाजार में दर्जनों अस्थाई दुकानें सजी हुई हैं, जहां से तरह तरह के सजावट के सामान मिल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर(चंदौली) : रोशनी के पर्व दीपावली पर घर के रंग-रोगन के साथ सजाने की भी परंपरा है। इसके लिए बाजार में दर्जनों अस्थाई दुकानें सजी रहीं। यहां सजावट के सामान फूल, पत्ती, गुलदस्ता, स्वागत द्वार, रंगोली आदि की खूब बिक्री हुई।
दीपावली पर्व को अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है। लक्ष्मी-गणेश की पूजा को तो सामग्री खरीदी ही जाती है, प्रवेश द्वार पर शुभ-लाभ, स्वास्तिक, स्वागतम् आदि के स्टीकर भी खरीदे जाते हैं। बनावटी फूलों, गुलदस्तों व लरियों को भी लोग घरों में सजाने को उत्सुक रहे। दीपावली से व्यापारी अपने खाता व बही को बदलते हैं। इसकी भी सामग्री वे क्रय करते हैं। इसीलिए इन दुकानों पर भी खरीदारी की खूब भीड़ दिखाई पड़ी। मिट्टी के दीयों की हुई खरीदारी
परंपरागत तरीकों में मिट्टी के दीये में ही घी अथवा तेल से दीपक जलाया जाता रहा है। लेकिन इधर कुछ वर्षो में तेजी से इन चीजों में बदलाव आया है और लोग दीये के स्थान पर विद्युतलरी लगाना शुरू कर दिए हैं। हालांकि इससे कुम्हारों को काफी नुकसान हुआ है। कुम्भकार किशोर प्रजापति बताते हैं कि पहले दीपावली पर बेचे गये दीपक से इतनी आमदनी होती थी कि काफी दिन खर्च चलता था। इसीलिए दीपावली से तीन चार महीने पूर्व से ही दीपक बनाना शुरू कर देते थे। लेकिन अब तो इतनी भी बिक्री नहीं हो पाती है कि महीने भर भी काम चले। वर्षो से यही करते आए हैं, इसलिए अभी कर रहे हैं लेकिन कब तक कर पाएंगे यह कहना मुश्किल है। इस समय 40 रुपये प्रति सैकड़ा के हिसाब से दीये बिक रहे हैं।