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नहाय खाय से छठ व्रत शुरू, खरना आज

नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ रविवार को शुरू हो गया। श्रद्धा और पवित्रता का लोकपर्व छठ के पहले दिन व्रतियों ने पवित्र सरोवरों में स्नान किया। स्नान बाद शुद्ध घी में बनी चने की दाल, चावल और लौकी की सब्जी खाकर व्रत आरंभ किया। छठ शुरू होते ही कस्बों, गांवों में छठ मइया के गीतों की धूम रही। कांचे ही बांस के बहंगियां, बहंगी लचकत जाय..। सुगवा के मरबे धनुष से सुगा जइहैं मुरझाय ..। उग उग ही शुरुजरदेव, भइल अघर के बेर.. आदि गीत घर आंगन में बजते रहे। नगर के साव जी पोखरा, कालीजी पोखरा, बलुआ गंगा घाट, टांडाकला, कमालपुर, चकिया कालीजी पोखरा, पीडीडीयू नगर के मानसरोवर, रामजानकी तालाब, दामोदरदास, अलीनगर, चंधासी आदि के तालाबों की सफाई लगभग पूरी हो गई, घाट चमका दिए वहीं वेदी पूजन का कार्य भी पूरा हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 10:59 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 10:59 PM (IST)
नहाय खाय से छठ व्रत शुरू, खरना आज

जागरण संवाददाता, चंदौली/पीडीडीयू नगर (चंदौली) : नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ रविवार को शुरू हो गया। श्रद्धा और पवित्रता का लोकपर्व छठ के पहले दिन व्रतियों ने पवित्र सरोवरों में स्नान किया। स्नान बाद शुद्ध घी में बनी चने की दाल, चावल और लौकी की सब्जी खाकर व्रत आरंभ किया। छठ शुरू होते ही कस्बों, गांवों में छठ मइया के गीतों की धूम रही। कांचे ही बांस के बहंगियां, बहंगी लचकत जाय..। सुगवा के मरबे धनुष से सुगा जइहैं मुरझाय ..। उग उग ही सुरुजरदेव, भइल अघर के बेर.. आदि गीत घर आंगन में बजते रहे। नगर के साव जी पोखरा, कालीजी पोखरा, बलुआ गंगा घाट, टांडाकला, कमालपुर, चकिया कालीजी पोखरा, पीडीडीयू नगर के मानसरोवर, रामजानकी तालाब, दामोदरदास, अलीनगर, चंधासी आदि के तालाबों की सफाई लगभग पूरी हो गई, घाट चमका दिए वहीं वेदी पूजन का कार्य भी पूरा हो गया।

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पीडीडीयू नगर कार्यालय के अनुसार नहाय खाय के साथ रविवार से चार दिवसीय डाला छठ का महापर्व शुरू हो गया। महिलाओं ने देशी घी में बनी चने की दाल, लौकी भात खाकर पर्व की शुरुआत की। सोमवार को दिनभर निर्जला व्रत रहने के उपरांत शाम को खरना पूजा करेंगी। इसमें सूर्यदेव को नए चावल का खीर चढ़ाया जाएगा। चार दिवसीय डाला छठ पर्व नहाय खाय से शुरू होता है। महिलाएं दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को परवईतीन अ‌र्घ्य देंगी। अगले दिन उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के उपरांत हवन पूजन कर पर्व का समापन होगा। व्रत की ²ष्टि से इसे अत्यंत कठिन पर्व माना जाता है। छठ पूजा को देखते हुए नगर के मानसरोवर तालाब, दामोदरदास पोखरा, आरपीएफ कालोनी तालाब, अलीनगर स्थित तालाब, रामजानकी तालाब सहित ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित तालाबों की साफ सफाई व प्रकाश की व्यवस्था भी लगभग पूरी हो चुकी है। सोमवार की सुबह मानसरोवर तालाब को शुद्ध करने के लिए नदियों का जल डाला जाएगा। कमालपुर में गायत्री प्रज्ञा पीठ बहेरी में डाला छठ मनाएंगे। यहां मंदिर परिसर में यह पर्व मनाया जाता है। लौकी भात का है वैज्ञानिक महत्व

आस्था के इस महापर्व की शुरुआत चने की दाल, लौकी भात से होती है। इसका वैज्ञानिक पहलू है। लौकी खाने के कई फायदे हैं। इसका जूस डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों में फायदा पहुंचाता है। सब्जी के रूप में खाए जाने वाली लौकी शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक है। यह बेल पर तैयार होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। इसमें 98 प्रतिशत पानी और शरीर के लिए जरूरी न्यूट्रिएंट्स जैसे फास्फोरस, विटामिन्स, सोडियम, आयरन और पोटेशियम होता है जो एनीमिया, हार्ट प्रॉब्लम और डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचाने में मददगार है।


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