Chandauli News: कानपुर हादसे से भी नहीं लिया सबक, कमर्शियल उपयोग संग ट्रैक्टर ट्रालियों से ढोई जा रही सवारियां
ट्राली का खेती के लिए उपयोग होगा तो हर साल टैक्स नहीं लगेगा लेकिन अगर वह इससे बालू और ईंट ढोते हैं तो तिमाही टैक्स जमा करना होगा। हर ट्राली में पीछे नंबर और रिफलेक्टर लगाना अनिवार्य है। रिफ्लेक्टर न लगे होने से अक्सर हादसे होते हैं।
चंदौली, जागरण संवाददाता। जिले भर में बिना रजिस्ट्रेशन के ही ट्रैक्टर का कमर्शियल उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। खेती के उपयोग के लिए खरीदे गए ट्रैक्टर से बालू और ईंट ढो रहे हैं। इसका परिवहन विभाग को टैक्स भी नहीं दिया जा रहा। अब सवारियों के परिवहन में भी ट्रैक्टर ट्राली का उपयोग होने लगा है। कानपुर हादसे हुई 27 व्यक्तियों की मौत के बाद शासन ने सख्त कदम उठाया है।
एडीजी यातायात अनुपम कुलश्रेष्ठ ने दस दिनों तक का सघन अभियान चलाकर ऐसे ट्रैक्टर ट्रालियों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया है। किसान ट्रैक्टर का उपयोग खेती के लिए करते हैं तो उन्हें परिवहन विभाग को पंजीकरण के अलावा टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है।
एक भी ट्रैक्टर कमिर्शियल उपयोग के लिए रजिस्टर्ड नहीं
साथ ही वह ट्राली का उपयोग खेती के लिए करते हैं तो कोई टैक्स देना नहीं होता है, लेकिन उसका व्यावसायिक उपयोग होगा तो उन्हें टैक्स देना होगा। कृषि प्रधान जिला होने की वजह से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर हैं और वे खेती के लिए ही पंजीकृत हैं। इसमें कुछ ट्रैक्टर ही खेती का काम कर रहे हैं।
अधिकतर ट्रैक्टर ईट, बालू या अन्य सामग्री ढो रहे हैं। टैक्स दिए बिना ही लोग ट्रैक्टर का व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं। परिवहन विभाग की मानें तो एक भी ट्रैक्टर कमर्शियल उपयोग के लिए रजिस्टर्ड नहीं है। इसलिए ट्रैक्टर से परिवहन विभाग की कोई आय नहीं है।
चूंकि जिले में ट्रैक्टर ट्राली का कामर्शियल उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। लोगों को ग्राम प्रधानों के जरिए जागरूक भी किया जाएगा।
ट्राली का नहीं कराते हैं रजिस्ट्रेशन
स्वामी ट्रैक्टर लेकर उसका रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं, लेकिन ट्राली का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं, जबकि ट्राली का अलग से रजिस्ट्रेशन होता है और उसका अलग नंबर भी मिलता है। चूंकि ट्रैक्टर का उपयोग खेती के उद्देश्य से है। इसलिए किसानों के हित के लिए उनकी जांच नहीं होती थी, लेकिन इसका कामर्शियल उपयोग बढ़ गया है। ट्रैक्टर ट्राली पर बैठाकर सवारी ढोने का कार्य किया जा रहा।
ऐसे कराएं ट्राली का रजिस्ट्रेशन
ट्राली का निर्माण किसी कंपनी में नहीं बल्कि बाजार, कस्बों के निजी वर्कशाप में होता है। एआरटीओ ने बताया कि यहां से निर्मित हर ट्राली का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, लेकिन लोग खेती कार्य के लिए ट्राली बनवाने की बात कहकर इससे छूट पा जाते थे और इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
बताया कि ट्राली बनवाने के बाद इसके रजिस्ट्रेशन के लिए फार्म भरना होगा। तब परिवहन विभाग ट्राली का चेंचिस नंबर एलाट करेगा। उसी आधार पर ट्राली को नंबर मिलेगा।
रिफ्लेक्टर लगा होना अनिवार्य
ट्राली का खेती के लिए उपयोग होगा तो हर साल टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन अगर वह इससे बालू और ईंट ढोते हैं तो तिमाही टैक्स जमा करना होगा। हर ट्राली में पीछे नंबर और रिफलेक्टर लगाना अनिवार्य है। रिफ्लेक्टर न लगे होने से अक्सर हादसे होते हैं। शासन के निर्देशानुसार कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
शासन से मिला कार्रवाई का आदेश: अधिकारी
यातायात निरीक्षक श्याम जी यादव ने कहा, शासन का निर्देश मिला है कि व्यावसायिक व सवारियों के परिवहन के लिए उपयोग होने वाले ट्रैक्टर ट्राली विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों को जागरूक किया जाए, ताकि वे ट्रैक्टर ट्राली, डंपर व डाला पर यात्रा न कर सकें। कृषि के अलावा सवारी ढोने पर ट्रैक्टरों का उपयोग किया जाना नियम विरुद्ध है। इसी क्रम में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। नियम का उल्लंघन करने वाले ट्रैक्टर से दस हजार शमन शुल्क वसूला जाएगा।