Chandauli News: अब मनरेगा मजदूरों की मजदूरी देंगी बीसी सखी, जिले की 734 ग्राम पंचायतों में होगा चयन
अब तक 336 बीसी सखियों का चयन किया जा चुका है। इन्हें यूनियन ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) की ओर से बकायदा प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि यह स्वीप मशीन का कुशल संचालन कर सकें। इन्हें इसके एवज में कमीशन दिया जाएगा।
चंदौली, जागरण संवाददाता। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत अकुशल श्रमिकों को अब बीसी सखी (बैंक करोस्पांडेंट) उनके कार्यस्थल पर ही मजदूरी का भुगतान करेंगी। मजदूरी के लिए उन्हें बैंकों का चक्कर लगाने से तो मुक्ति मिलेगी ही आर्थिक क्षति और समय की भी बचत होगी। जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 734 ग्राम पंचायतों में बीसी सखी का चयन किया जाना है।
यह बीसी सखी समूह से जुड़ीं होंगी। अब तक 336 बीसी सखियों का चयन किया जा चुका है। इन्हें यूनियन ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) की ओर से बकायदा प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि यह स्वीप मशीन का कुशल संचालन कर सकें। इन्हें इसके एवज में कमीशन दिया जाएगा। कमीशन की धनराशि क्या होगी इस बाबत अभी कोई स्पष्ट आदेश नहीं प्राप्त हुआ है।
हर व्यक्ति कर सकेगा बैंक एकाउंट का इस्तेमाल
बीसी सखियां मनरेगा श्रमिकों के लिए सहायक तो सिद्ध होंगी ही आवश्यकता पड़ने पर घर जाकर मनरेगा मजदूरों का भुगतान करेंगी और बैंकिंग में सहारा बनेंगी। गांव में ही बीसी सखियों के माध्यम से चलता फिरता बैंक काम करेगा और हर व्यक्ति बैंक एकाउंट का अधिक से अधिक इस्तेमाल कर सकेगा।
2.64 लाख श्रमिकों का जाबकार्ड मनरेगा के तहत जनपद में 2.64 लाख श्रमिकों का जाबकार्ड बनाया गया है। इसमें सक्रिय जाबकार्ड धारकों की संख्या 1.59 लाख है। चालू वित्तीय वर्ष में प्रतिदिन लगभग दस हजार मानव दिवस सृजित किया जा रहा है। दस हजार मानव दिवस की मजदूरी का कुल भुगतान 20 लाख 40 हजार रुपये होता है।
मनरेगा उपायुक्त सुशील कुमार ने बताया कि बीसी सखियों के जरिए मनरेगा श्रमिकों को अपने घर व कार्यस्थल पर ही पैसे का लेन-देन करने में सुविधा तो होगी ही सखियों की आय में भी वृद्धि होगी।
किसानों को आधुनिक खेती करने की दी गई सलाह
शहाबगंज (चंदौली)। मंगरौर गांव में शुक्रवार को विकास खंड स्तरीय खरीफ गोष्ठी व कृषि निवेश मेले का आयोजन किया गया। इसमें कृषि विभाग की योजनाओं समेत के बारे में आधुनिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। डा. संजीव कश्यप ने बताया कि जीरो टिलेज विधि से धान एवं गेंहू की बुआई की जाए तो फसल में पानी की कम आवश्यकता होती है। वहीं उर्वरक प्रबंधन का अच्छे से हो जाता है। इससे लागत में कमी होती है और उसका लाभ किसानों की आय में वृद्धि होगी।
प्राविधिक सहायक अमित कुमार सिंह ने कहां कि सरकार किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि दे रही है। जिन किसानों के नाम से भूमि है वही किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र हैं। विपिन कुमार ने कहां कि धान की फसल में कीट का प्रभाव दिखाई दे रहा है, तुरंत उसके रोकथाम के लिए दवा का छिड़काव करें।