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जाति व्यवस्था सामाजिक समरसता में बाधक

स्थानीय सावित्री बाई फुले राजकीय स्नाकोत्तर कालेज में बुधवार को तीन दिवसीय व्याख्यान माला कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इसमें स्वास्थ्य व जाति व्यवस्था की प्रासंगिकता विषय पर चर्चा हुई। विश्वनाथ पीजी कालेज के प्राचार्य व समाजशास्त्री डा. मदनमोहन दुबे ने कहा जाति व्यवस्था सामाजिक समरसता में बाधक है। भारत में समाज नाम की कोई चीज नहीं बल्कि जातियों का जमावड़ा है। इसकी वजह से यहां समाज जैसी किसी संकल्पना का उदय नहीं हो सका और जाति को ही समाज मान लिया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 07:44 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 07:44 PM (IST)
जाति व्यवस्था सामाजिक समरसता में बाधक
जाति व्यवस्था सामाजिक समरसता में बाधक

जासं, चकिया (चंदौली) : स्थानीय सावित्री बाई फुले राजकीय पीजी कालेज में बुधवार को तीन दिवसीय व्याख्यानमाला कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इसमें स्वास्थ्य व जाति व्यवस्था की प्रासंगिकता विषय पर चर्चा हुई। विश्वनाथ पीजी कालेज के प्राचार्य व समाजशास्त्री डा. मदनमोहन दुबे ने कहा जाति व्यवस्था सामाजिक समरसता में बाधक है। भारत में समाज नाम की कोई चीज नहीं, बल्कि जातियों का जमावड़ा है। इससे यहां समाज जैसी किसी संकल्पना का उदय नहीं हो सका और जाति को ही समाज मान लिया गया।

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कहा कि जाति व्यवस्था में 'भारतीय समाज' की संकल्पना बेमानी ही होगी। जातियों से खंडित देश में राष्ट्रवाद की संकल्पना भी परवान नहीं चढ़ सकेगी। जाति नागरिकता पर हावी होते हुए अव्वल और दोयम दर्जे की नागरिकता को भी परिभाषित करती है। जाति में ऊंच-नीच और असमानता है। शोषण व अत्याचार है, इसलिए सभी बुद्धिजीवी व जाति व्यवस्था से पीड़ित जाति का नाश चाहते हैं। समानता और भाईचारा चाहते हैं। समतामूलक समाज के लिए यह उचित भी है।

शारीरिक शिक्षा विभाग बीएचयू के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डा. कृष्णकांत यादव ने कहा वर्तमान में समाज शास्त्र, मनोविज्ञान व अर्थशास्त्र जैसे विषयों का समावेश होने से शारीरिक शिक्षा के मायने बदल गए हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में स्थान प्राप्त करने पर सरकार की ओर से दिए जा रहे प्रोत्साहन और खेल नीतियों के कारण शारीरिक शिक्षा का महत्व किसी से छिपा नहीं है। कहा हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है। खेलों के क्षेत्र में पिछड़ेपन का कारण हमारे देश की अर्थ व्यवस्था, टेक्नोलॉजी और सुविधाओं की कमी माना जा सकता है। उन्होंने टेक्निकल और नॉन टेक्निकल गेम्स में उपयोग होने वाले टूल्स और स्पेशल किट्स के बाबत ज्ञानवर्धक जानकारी दी। डा. अमिता सिंह, डा. एमके सिंह, डा. अशोक प्रियदर्शी, डा. शमशेर बहादुर, डा. सरवन यादव, डा. संतोष यादव, पीके सिंह, देवेंद्र बहादुर सिंह, अनिल सिंह सहित कालेज के छात्र उपस्थित थे। अध्यक्षता प्राचार्य डा. संगीता सिन्हा व संचालन रमाकांत गौड़ ने किया।


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