खामोशी की चादर ओढ़े रहे मतदाता, जीत को असमंजस में प्रत्याशी
लोकतंत्र के महापर्व में सातवें व अंतिम चरण के मतदान के तहत रविवार को मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सुबह सात बजे से आरंभ हुए मतदान में हालांकि कई स्थानों पर ईवीएम की गड़बड़ी के कारण व्यवधान उत्पन्न हुआ। बावजूद इसके मतदाताओं ने समय के अंत तक अपने मताधिकार के प्रयोग में कोई कोताही नहीं बरती। लेकिन अंतत मतदाताओं की चुप्पी नहीं टूटने को लेकर प्रत्याशियों में जीत का असमंजस बरकरार रहा। चाहे गांव की गलियां हों या च
जासं, चंदौली : लोकतंत्र के महापर्व में सातवें व अंतिम चरण के मतदान के तहत रविवार को मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सुबह सात बजे से आरंभ हुए मतदान में हालांकि कई स्थानों पर ईवीएम की गड़बड़ी के कारण व्यवधान उत्पन्न हुआ। बावजूद इसके मतदाताओं ने समय के अंत तक अपने मताधिकार के प्रयोग में कोई कोताही नहीं बरती। लेकिन अंतत: मतदाताओं की चुप्पी नहीं टूटने को लेकर प्रत्याशियों में जीत का असमंजस बरकरार रहा। चाहे गांव की गलियां हों या चट्टी, चौपाल रूझान को लेकर सन्नाटा ही नजर आया। महिला, पुरुष मतदाता खामोशी की चादर ओढ़े रहे। वैसे मतदान को लेकर युवा वर्ग में विशेष उत्साह देखने को मिला। युवाओं ने स्वयं के साथ दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित किया।
चंदौली संसदीय सीट पर भाजपा के डा. महेंद्र नाथ पाडेय ने जीत की पठकथा लिखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। वहीं गठबंधन के प्रत्याशी डा. संजय चौहान भी परंपरागत वोटों को लेकर जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं। उधर कांग्रेस समर्थित जन अधिकार पार्टी की शिवकन्या कुशवाहा ने भी खूब होमवर्क किया है। इन्हें भी उम्मीद है कि मतदाता उन्हें सिरे से खारिज नहीं करेंगे। लेकिन मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों को साल रही है। नगरों में तो कुछ सुनने को भी मिल जा रहा लेकिन गांवों में जीत-हार को लेकर अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। इसके मूल में सत्ता पक्ष के आने वाले दिनों में भी बने रहने को लेकर मतदाता अपने मन की बात बताने से परहेज कर रहे हैं। चुनाव में यदि कुछ आइने की तरह साफ है तो वे हैं युवा मतदाता। इनके खेमे पूरी तरह आमने-सामने हैं। बहरहाल देखना है कि 23 मई को जीत का ऊंट किस करवट बैठता है।
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