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खून का सौदागर गिरफ्तार, तीन पैकेट में 600 ग्राम रक्त बरामद

वाराणसी से खरीदकर बिहार के मोहनियां व गाजीपुर के दिलदारनगर में

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 06:58 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 07:18 PM (IST)
खून का सौदागर गिरफ्तार, तीन पैकेट में 600 ग्राम रक्त बरामद

- वाराणसी से खरीदकर बिहार के मोहनियां व गाजीपुर के दिलदारनगर में बेचते थे पैकेट

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- दो-दो हजार रुपये में लेकर चार-चार हजार में किया था सौदा

- पुलिस को बताया अस्पताल मरीजों से वसूलते हैं 10 हजार जागरण संवाददाता, चंदौली : सदर कोतवाली पुलिस ने मंगलवार की रात मुख्यालय स्थित बबुरी मोड़ के समीप ब्लड तस्कर को तीन पैकेट यानी 600 ग्राम रक्त के साथ गिरफ्तार किया। बाइक पर पीछे बैठा दूसरा व्यक्ति अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया। तस्करों ने वाराणसी के लहुराबीर स्थित आइएमए के ब्लड बैंक से रक्त खरीदा था। उसे बिहार के मोहनियां व गाजीपुर के दिलदारनगर स्थित नर्सिंग होम में बेचना था। जिले के निजी नर्सिंग होम संचालकों से भी उनके कनेक्शन की पड़ताल की जा रही है।

गिरफ्तार आरोपित हथियानी गांव का निवासी है। उनकी तलाशी के बाद बाइक की डिक्की से एक पैकेट ए पाजिटिव व दो पैकेट पर बी पाजिटिव ग्रुप लिखा रक्त मिला। पुलिस उसे पकड़कर थाने ले आई और कड़ाई से पूछताछ की। उसने बताया कि वाराणसी के लहुराबीर स्थित आइएमए के ब्लड बैंक में काम करने वाले आनंद सिंह से दो-दो हजार रुपये यूनिट के हिसाब से रक्त खरीदा था और चार-चार हजार में बेचता था, बताया कि अस्पताल वाले मरीजों को एक यूनिट ब्लड चढ़ाने के लिए 10-10 हजार रुपये वसूलते हैं। कोतवाल अशोक मिश्रा ने बताया कि फरार आरोपित की पहचान हथियानी निवासी भोला के रूप में हुई है। मामले की छानबीन के साथ ही दूसरे आरोपित की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। जिले के निजी नर्सिंग होम से भी तस्करों के कनेक्शन के बारे में पता लगाया जा रहा है। पुलिस टीम में मनोज पांडेय, कांस्टेबल राहुल यादव, अनिल यादव शामिल रहे।

जुलाई 2020 में पकड़े गए थे दो तस्कर

जिले में रक्त की तस्करी का खेल पुराना है। जुलाई 2020 में सदर कोतवाली पुलिस ने मुख्यालय से दो तस्करों को पकड़ा था। इसमें भी वाराणसी के लहुराबीर स्थित आइएमए के ब्लड बैंक का कनेक्शन मिला था। तस्कर मुख्यालय स्थित निजी नर्सिंग होम में रक्त की सप्लाई करते थे। रक्त तस्करी में निजी नर्सिंग होम की संलिप्तता पर सील करवा दिया गया था। लगभग तीन माह तक अस्पताल में ताला लटका रहा।


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