भागवत के चरित्र को ह्दय में उतारने की आवश्यकता
जासं, मुगलसराय(चंदौली): भागवत विषय के चरित्र मनुष्यों को ह्दय में उतारकर मनन करने की आव
जासं, मुगलसराय(चंदौली): भागवत विषय के चरित्र मनुष्यों को ह्दय में उतारकर मनन करने की आवश्यकता है। मनुष्य का मन सत रज और तम गुण के वसीभूत रहता है। वह बिना किसी अंकुश के ज्ञानेंद्रियों से शुभ कार्य करता है।
कथावाचक रामबिहारी शुक्ला ने पटेल नगर स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में चल रहे भागवत कथा के तीसरे दिन कही। प्रह्लाद की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि कश्यप ऋषि के पत्नी का नाम दीति था। दीति के दो पुत्र थे हिरण्याच्य व हिरणकश्यप। हिरणकश्यप के पुत्र का नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद शिक्षा ग्रहण करके अपने घर आए तब उनके पिता हिरणकश्यप ने उनसे पूछा बेटा प्रह्लाद इनते दिनों में तुमने जो गुरु से शिक्षा प्राप्त की है। उसमें से कोई अच्छी बात हमें सुनाओ। प्रह्लाद ने कहा कि पिता जी विष्णु भगवान की भक्ति के नौ भेद है। भगवान के प्रति समर्पण के भाव से नौ प्रकार की भक्ति किया जाए तो उसी को उत्तम अध्ययन समझता हूं। पं. सुरेंद्रनाथ तिवारी, मिथिलेश, बद्री नारायण ¨सह, सुराहू, संतोष तिवारी, शंकर श्रीवास्तव, मालती, सागर, आनंद तोदी आदि उपस्थित थे।