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विकास की बाट जोह रही एशिया की सबसे बड़ी कोयला मंडी

करोड़ों का राजस्व देने वाली हजारों हाथ को रोजगार देने वाली और लाखों घरों का चूल्हा जलाने वाली एशिया की बड़ी मंडियों में शुमार रखने वाली चंधासी कोयला मंडी आज भी विकास की बाट जोह रही है। कोयला मंडी से हर महीने करोड़ों रुपये का राजस्व सरकार के खाते में जाता है लेकिन अब तक यहां के विकास के नाम पर कुछ भी खर्च नहीं किया गया है। मंडी में पेयजल सड़क जैसी सुविधाओं का टोटा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 07:21 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 06:06 AM (IST)
विकास की बाट जोह रही एशिया की सबसे बड़ी कोयला मंडी
विकास की बाट जोह रही एशिया की सबसे बड़ी कोयला मंडी

जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : करोड़ों का राजस्व, हजारों हाथों को रोजगार देने वाली और लाखों घरों का चूल्हा जलाने वाली एशिया की बड़ी मंडियों में शुमार रखने वाली चंधासी कोयला मंडी आज भी विकास की बाट जोह रही है। कोयला मंडी से हर महीने करोड़ों रुपये का राजस्व सरकार के खाते में जाता है लेकिन अब तक यहां के विकास के नाम पर कुछ भी खर्च नहीं किया गया है। मंडी में पेयजल, सड़क जैसी सुविधाओं का टोटा है। कोयला मंडी में व्यापारी व मजदूर मिलाकर लगभग पचास हजार लोग भारी-भरकम राजस्व देने के बावजूद ठगे जा रहे हैं। चुनाव-दर-चुनाव निजाम बदला लेकिन किसी ने भी इस आबादी की सुधि नहीं ली।

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नगर पालिका परिषद ने पुरानी चंधासी पुलिस चौकी के समीप अपने सीमा का स्वागत बोर्ड लगा रखा है। मंडी के उत्तर पटरी के कुछ हिस्से की बात न करें तो पूरा इलाका ही नगर पालिका परिषद के क्षेत्र में आती है। कोयला मंडी की भीतरी की सड़कों का हालत तो यह है कि डेढ़ से दो फीट के गड्ढे सड़क में मिल जाएंगे। सड़क के किनारे गड्ढों में ही ट्रक खड़े होते हैं। व्यापारी व कर्मचारी धूल, मिट्टी व कीचड़ से होकर अपने ट्रांसपोर्ट पर पहुंचते हैं।

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पेयजल व चिकित्सा की नहीं सुविधा

मंडी में सरकारी पेयजल की कोई सुविधा नहीं। चिकित्सा व्यवस्था एवं विद्युत व्यवस्था भी नहीं है। विकास के लिए मंडी में कोई भी विभाग के अधिकारी नहीं पहुंचते। हां, समय समय पर जांच-पड़ताल आदि के लिए जरूर पहुंच जाते हैं। मंडी में काम करने वाले व्यापारी पेयजल के लिए भटकते हैं। कार्य के दौरान मजदूरों को चोट लगने पर इलाज को वाराणसी या पीडीडीयू नगर ले जाना पड़ता है।

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गंदगी व धूल से होते परेशान

मंडी में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इससे उठने वाली दुर्गंध से मजदूरों को परेशानी होती है। आसपास के लोग भी परेशान हो जाते हैं। वहीं मंडी में जमी धूल लोगों को बीमार बना रही है। रास्ते से गुजरने वाले लोग नाक पर रूमाल रखकर गुजरते हैं।

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पोल हो रहे धराशायी

मंडी में जीटी रोड के मध्य में डिवाइडर बनाया गया है। जगह जगह पोल लगाए गए हैं। रखरखाव के अभाव में पोल बेकार होकर धराशायी हो रहे हैं। मार्ग के किनारे पोल गिर जाता है तो लंबे समय तक उसी स्थान पर रह जाता है। डिवाइडर भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।

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छला नेताओं व अधिकारियों ने

कोयला व्यापारी कैलाश किशोर पोद्दार ने कहा चार दशक से सैकड़ों गांव के लोग यहां मेहनत मजदूरी करके अपना जीविकोपार्जन करते हैं। पूर्वांचल में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली मंडी करोड़ों का राजस्व, प्रत्येक महीने जीएसटी और वन विभाग को लाखों का राजस्व देती है। बावजूद इसके मंडी उपेक्षा का शिकार बनी हुई है। कोयला मंडी के अध्यक्ष धर्मराज यादव ने कहा हर सरकार के मंत्री, विधायक व सांसद को मंडी के लोग समय-समय पर बुलाते हैं लेकिन सभी माननीय वादा से ज्यादा कुछ नहीं दे सकें। कोल व्यवसाई हाजी सिराजुद्दीन ने कहा मंडी अपना अस्तित्व खोती जा रही है। शाहिद खान ने कहा अब मंडी में पहले जैसा कारोबार नहीं होता है। मंडी से लोग दूर भागने लगे हैं। अजीत कुमार गुप्ता ने कहा वर्षों से मंडी में कार्य करने वाले मजदूरों को परेशानी हो रही है। कोल व्यवसाई नियाज अहमद ने कहा पूर्व में मंडी में काफी चहल पहल रहती थी लेकिन अब तो गुलजार मंडी वीराने में तब्दील हो गई है।


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