माटी गांव के शिवालय में मिलीं प्राचीन खंडित मूर्तियां
काशी हिदू विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण टीम ने रविवार को क्षेत्र के माटीगांव स्थित शिव मंदिर पर सर्वे किया।तत्पश्चात यहां रखी सैकड़ों वर्ष पूर्व खंडित मूर्तियों का गहनता से परीक्षण किया। सर्वे टीम ने परिसर में रखी दर्जनों खंडित मूर्तियों को गहनता से अवलोकन की। सर्वे टीम की मानें तो उक्त मंदिर के परिसर में अगर खुदाई कराई जाए तो भव्य मंदिर होने का अंदेशा है।हालांकि टीम के अध्यक्ष ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि इसके लिए भारत सरकार को पत्र लिखा जायेगा।
जासं ताराजीवनपुर (चंदौली) : काशी हिदू विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग की टीम ने रविवार को माटीगांव स्थित शिव मंदिर का सर्वे किया। मंदिर में रखी सैकड़ों वर्ष पुरानी खंडित मूर्तियों का गहनता से परीक्षण किया। इसके आधार पर मंदिर प्रांगण के आसपास जमीन के अंदर प्राचीन अवशेष होने की संभावना व्यक्त की। बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के प्रोफेसर ओंकारनाथ सिंह ने कहा मंदिर प्रांगण के समीप खोदाई कराने को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा जाएगा। सहमति के बाद खोदाई का कार्य शुरू कराया जाएगा।
प्रोफेसर सिंह ने बताया कि मंदिर का सर्वे करने से कई साक्ष्य ऐसे मिले, जिससे यहां तकरीबन दो हजार वर्ष पुराने अवशेष मिलने की उम्मीद है। मनुष्यों ने दो हजार साल पहले इस स्थान को अपने रहन-सहन के लिए चयनित किया होगा। काशी से सटा होने के कारण इस स्थान का धार्मिक, व्यापारिक ²ष्टिकोण से विशेष महत्व रहा होगा। यहां चुनार के बलुए पत्थर से बनी अनेक देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां मिली हैं। इसका पुरातात्विक ²ष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। खंडित मूर्तियों में भगवान विष्णु, दुर्गा, सूर्य, गणेश लीला स्तंभ सहित दर्जनों मूर्तियां खंडित पड़ी हैं। मंदिर प्रांगण में कुछ ईटें भी ऐसी मिली हैं। जो करीब लगभग 15 सौ वर्ष पहले की प्रतीप हो रही हैं। इतना ही नहीं विभाग के लोगों का अनुमान है कि उक्त मंदिर प्रांगण के समीप जल प्रवाह का स्त्रोत भी रहा होगा। प्राचीन बस्ती के लोग इससे अपनी प्यास बुझाते रहे होंगे। बताया कि मंदिर के समीप कई पूरा स्थल भी हैं। खोदाई के बाद इसके बारे में स्पष्ट हो जाएगा। गांव के शिक्षक प्रमोद कुमार सिंह काफी दिनों से उक्त स्थल का पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराने की मांग कर रहे हैं। टीम में प्रोफेसर अनिल कुमार दुबे, डा. अशोक कुमार सिंह, डा. प्रभाकर उपाध्याय, डा. डीपी सिंह, अरूण कुमार पांडेय, डा. विनय कुमार, डा. रविशंकर, अभिषेक कुमार तिवारी शामिल थे।