कितनी मौतों के बाद बनेगी कर्मनाशा पुल की रे¨लग
जिला मुख्यालय से धरौली को जोड़ने वाले मार्ग स्थित कर्मनाशा पुल की टूटी रे¨लग डेढ़ वर्ष बाद भी नहीं बन पाई। जबरदस्त ट्रैफिक कारण आए दिन लोग हादसे का शिकार हो रहे है। इसकी भयावहता ऐसी कि करीब एक साल में तीन लोगों की जानें जा चुकी है। दिलचस्प कि प्रत्येक चुनाव में यह मुद्दा बनने के बाद भी बनने से रह जाता है।
जागरण संवाददाता, चंदौली : जिला मुख्यालय से धरौली को जोड़ने वाले मार्ग स्थित कर्मनाशा पुल की टूटी रे¨लग डेढ़ वर्ष बाद भी नहीं बन पाई। जबरदस्त ट्रैफिक के कारण आए दिन लोग हादसे का शिकार हो रहे। इसकी भयावहता ऐसी कि करीब एक साल में तीन लोगों की जानें जा चुकी है। दिलचस्प कि प्रत्येक चुनाव में यह मुद्दा बनने के बाद भी बनने से रह जाता है। इलाकाई लोगों ने दुश्वारियों के बारे में जानने की कोशिश पर पलटकर सवाल करते आखिर कितनी मौतों के बाद बनेगी रे¨लग समेत कई मुद्दे सवाल उठा रहे।
नरहनपुर के रामप्यारे ¨सह ने कहा 1957 में पंडित कमलापति ने पुल का निर्माण कराया था। आज विकास की बातें कही जा रहीं लेकिन जनप्रतिनिधि उसकी रे¨लग तक दुरुस्त नहीं करा पा रहे। नरहन कलां गांव के डा. अनीस ने कहा हमारी उम्मीदें टूट चुकी हैं। लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ी तो केस लाद दिया गया। हलुआ गांव के धनंजय तिवारी ¨सचाई विभाग ने कई बार आश्वासन दिया लेकिन कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा सकी। नरहन गांव के सरोज माली ने कहा एक साल में तीन लोगों की मौत हो चुकी हैं। कितने घायल हुए यह गिनती में बताना मुश्किल है। चुनाव में नेता ऐसा दम्भ भरते, मानों उनकी प्राथमिकता में हो लेकिन चुनाव जीतते ही सभी वादे से मुकर जाते हैं। रोजाना उस पुल से डेढ़ से दौ सौ बड़े वाहन गुजरते होंगे। बाइक, साइकिल सवारों, राहगीरों का तो पूरे दिन आना जाना लगा रहता है। साहस के हथियार से बची इंद्रावती की जान
एक सप्ताह हुआ होगा, जब स्कूली छात्रा इंद्रावती ने साहस के हथियार से अपना जान बचाई पाई। इलाकाई लोगों के मुताबिक छात्रा एक तेज रफ्तार वाहन से बचने की फिराक में पुल से 35 फीट नीचे जा गिरी। संयोग रहा कि उसे तैरना आता था, लिहाजा साहस करके उसने खुद को मौत के मुंह से निकाल ली।