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पराली जलाने में 43 किसानों के खिलाफ कार्रवाई

धान के कटोरे में पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन सख्त रूख अख्तियार किए हुए है। एक अक्टूबर से 10 दिसम्बर तक जहां 43 किसानों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की जा चुकी है वहीं लापरवाही में

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 06:23 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:23 PM (IST)
पराली जलाने में 43 किसानों के खिलाफ कार्रवाई
पराली जलाने में 43 किसानों के खिलाफ कार्रवाई

जासं, चंदौली : धान के कटोरे में पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन सख्त रुख अख्तियार किए है। एक अक्टूबर से 10 दिसंबर तक जहां 43 किसानों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की जा चुकी है, वहीं लापरवाही में आठ प्राविधिक सहायक व 16 लेखपाल विभागीय कार्रवाई के दायरे में आ चुके हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण व नगरीय इलाकों में कूड़ा, कचरा जलाने के आरोप में 12 लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा चुकी है। आने वाले दिनों में भी प्रशासन पराली के नाम पर राहत देने के मूड में नहीं है। प्रशासन का दो टूक जवाब है कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना उनकी प्राथमिकता है।

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कृषि प्रधान जनपद में पराली को लेकर हाय-तौबा मची है। प्रशासन किसी भी सूरत में पराली जलाने को लेकर ढील देना नहीं चाहता है। इससे बड़े किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हार्वेस्टर से धान काटने में रीपर का प्रयोग अनिवार्य करने से किसान परेशान हैं। हालांकि कार्रवाई के भय से येन-केन प्रकारेण किसान रीपर का इंतजाम कर रहे हैं, लेकिन गेहूं की पिछड़ रही खेती से उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पराली नहीं जलाने को लेकर प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे अभियान में एक अक्टूबर से 10 दिसंबर तक 55 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। वहीं लापरवाही बरतने पर कृषि विभाग के आठ प्राविधिक सहायक व 16 लेखपालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है। कृषि विभाग के दो कर्मचारियों व दो लेखपालों को भी निलंबित किया जा चुका है। गोशाला में भेजी गई 20 टन पराली

शासन ने निराश्रित गोवंश स्थलों में पराली भेजने का निर्देश दिया है ताकि पराली का उचित निस्तारण कराया जा सके। अब तक 20 टन पराली निराश्रित गोवंश स्थलों को भेजी जा चुकी है। ''पराली नहीं जलाने को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जा सके। किसानों से अनुरोध है कि पराली कदापि न जलाएं। पराली निराश्रित गोवंश स्थलों को उपलब्ध कराएं।''

-विजय सिंह, उप कृषि निदेशक।


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