उर्वरक-बीज उधार नहीं दे पाएंगी समितियां
चंदौली : गेहूं की बोआई के लिए किसानों को इस बार भी समितियों से उधार का बीज व डीएपी नहीं मिलेगी। उन्ह
चंदौली : गेहूं की बोआई के लिए किसानों को इस बार भी समितियों से उधार का बीज व डीएपी नहीं मिलेगी। उन्हें नकदी देकर ही खाद मिल जाए तो उनका नसीब होगा। क्योंकि सहकारी बैंकों ने समितियों को चलाने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। वैसे विभाग का दावा है कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह में सरकार बैंकों को पैसा देकर समितियों की मदद कर देगी।
जिले की 83 सहकारी समितियों को डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक संचालित करता है। इन समितियों के एक लाख से अधिक सदस्य हैं। ये सदस्य समितियों से एक फसल के लिए उधार बीज और खाद लेते हैं। कुछ किसान तो खेतों की जोताई तक का पैसा भी लेते हैं। समितियों ने किसानों को उधार उर्वरक और बीज तो दे दिया पर बकाया वसूली करने में वे फिसड्डी रही।
इससे समितियों का भट्ठा बैठा और बैंक भी बोल गए। बीते वर्ष तो इस व्यवस्था को सरकार का सहयोग मिल गया पर इस साल बैंकों को चलाने की कोई व्यवस्था ही नहीं हो पाई है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी आने पर 60 करोड़ से अधिक रुपये इन बैंकों को देने की घोषणा की थी लेकिन वह धनराशि भी अभी तक नही मिली है। इससे समितियों के चलने का रहा-सहा आसरा भी जाता रहा।
क्या कहते हैं अधिकारी
सहायक निबंधक सहकारी समितियां राजेंद्र कुमार का कहना है कि किसानों पर 25 करोड़ बकाया चल रहा है। इस धनराशि की वसूली हो तो डीएपी, बीज आदि की खरीदारी कर समितियों पर उर्वरक उपलब्ध कराया जाए। बताया, समितियां सहकारी बैंक की मदद से चलती हैं पर बैंकों में ही पर्याप्त धन नही है। बैंक ने अपने क्रेडिट पर इफको से कुछ डीएपी मंगाई है लेकिन वह किसानों को नकद ही दी जाएगी।
कितने उर्वरक की पड़ेगी जरूरत
सहकारिता विभाग 11 हजार एमटी डीएपी और सात हजार एमटी एनपीके समितियों को देता है। इसके अलावा प्राइवेट क्षेत्रों में जिला कृषि विभाग इतना ही उर्वरक देता है। समितियों से प्राइवेट दुकानों से उर्वरक के दाम में कम से 20 रुपये अधिक का अंतर रहता है। मौजूदा समय में जिन समितियों पर उर्वरक मौजूद है वहां किसान नकद देकर ले जाते हैं।