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हजारों का जिप्सम हुआ नष्ट

By Edited By: Published: Wed, 27 Aug 2014 11:07 AM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 11:07 AM (IST)

चकिया (चंदौली): भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर है। जिप्सम (मृदा सुधारक) की खेप ब्लाक मुख्यालयों के कृषि बीज भंडारों पर भेज तो दिए गये लेकिन किसानों को इसकी उपयोगिता से संबंधित जागरूकता का कार्यक्रम नहीं चलाया जा सका। नतीजा यह हुआ की कृषि बीज भंडार परिसर में हजारों रूपये कीमत की जिप्सम की सैकड़ों बोरियां खुले आसमान में पड़ी की पड़ी रहकर खराब हो गई।

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तहसील क्षेत्र के चकिया, नौगढ़, शहाबगंज के कृषि बीज भंडार पर तकरीबन 150 टन जिप्सम की खेप जून माह में ही भेज दी गई। 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध होने वाली जिप्सम की कीमत 55 रूपये प्रति बोरी निर्धारित की गई। वहीं जिप्सम के प्रयोग से होने वाले फायदों का भान किसानों को उपलब्ध नहीं कराया गया। और न ही कोई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। किसान जिप्सम के प्रयोग से होने वाले फायदों से पूरी तरह अनभिज्ञ रहे।

स्थिति यह हुई कि एक भी जिप्सम की बोरी की बिक्री नहीं हो पाई। 80 टन चकिया के केंद्र पर भेज दिए जाने से केंद्र के सभी गोदाम भर गए। स्थिति यह हुई कि सैकड़ों बोरी खुले आसमान में रखनी पड़ गई। बरसात व धूप से खुले आसमान में पड़ी बोरियां सड़ गल कर बेकार हो गई है।

जिप्सम के फायदे

भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए जिप्सम काफी उपयोगी है। उसर, बंजर भूमि में इसके छिड़काव से भूमि को उपजाऊ होना तय माना जाता है। उर्वरक के बढ़ते प्रभाव से अधिकांश तौर पर भूमि की उर्वरा शक्ति दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। ऐसे में इसका छिड़काव रामबाण माना जाता है। भूमि में जिप्सम का छिड़काव जून माह में उपयुक्त समय माना जाता है।


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