फल उत्पादन में पश्चिम का राजा होगा बुलंदशहर
किसानों की आय दोगुनी करने और जिले को फल उत्पादन में अव्वल स्थान पर ले जाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है।
बुलंदशहर : किसानों की आय दोगुनी करने और जिले को फल उत्पादन में अव्वल स्थान पर ले जाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। किसानों के लिए शुरू की गई कवायद का असर भी सामने आने लगा है। आम और अमरूद के बाद अब पपीता और आंवला उत्पादन में भी बुलंदशहर जिला पश्चिम उत्तर प्रदेश में पहले स्थान पर पहुंच रहा है। उधर, फल पट्टी का आकार बढ़ाने और किसानों को लुभाने के लिए सरकार ने नई योजना तैयार की है।
आम उत्पादन में बुलंदशहर देश-विदेश में लगातार प्रसिद्ध बटोर रहा है। यहां आम की तमाम उन्नत प्रजातियों का उत्पादन हो रहा है। आम के बाद जनपद ने अब अमरूद और पपीता उत्पादन में भी रिकार्ड कायम करना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ वर्षो में जहां गिनती के किसान ही पपीते और आंवले की खेती जनपद में करते थे, वहीं अब यह आंकड़ा दो सौ हेक्टेयर से अधिक पार कर चुका है। बेहतर उत्पादन होने से मांग भी लगातार बढ़ रही है और किसानों को इसका पूरा लाभ भी मिल रहा है। उधर, फल उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आय में इजाफा करने के लिए उद्यान विभाग द्वारा कई योजनाओं का संचालन भी किया जा रहा है। योजनाओं का लाभ पाकर किसान लगातार अपने खेतों में फलदार पौधों को जगह दे रहे हैं।
फल उत्पादन की तरफ बढ़ा रुझान
आम, अमरूद और पपीते के साथ अन्य फलों के उत्पादन के लिए भी किसानों में लगातार रुझान बढ़ रहा है। इसमें बेल, बेर और नाशपाती का उत्पादन भी जिले में किसानों ने शुरू कर दिया है। इसमें ऊंचागांव, स्याना और बीबीनगर में आम के बागों की भरमार है। ऐसे ही अनूपशहर, खुर्जा, सिकंदराबाद आदि क्षेत्र में अन्य फलों के बागों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
गन्ना और गेहूं का फल बने विकल्प
कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था वाला जिला होने के कारण यहां सबसे अधिक गेहूं, गन्ना और आलू का उत्पादन किसान अधिक करते हैं। ऐसे में अब फल नकदी फसल होने के कारण गन्ना और गेहूं से किसानों ने किनारा करना शुरू कर दिया है। किसानों की बदली सोच के कारण ही अब खेतों में गेहूं और गन्ने के स्थान पर फलों के पेड़ जगह बना रहे हैं।
इन्होंने कहा ..
किसानों का रुझान अब गन्ना और गेहूं की अपेक्षा फल उत्पादन की ओर बढ़ने लगा है। पिछले कुछ सालों में जिले में फलदार पेड़ों का क्षेत्रफल तेजी से बढ़ा है। नकदी फसल होने के कारण किसानों को इसका लाभ भी मिल रहा है। सरकार ने भी किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की हुई है।
- डा. धीरेंद्र यादव, जिला उद्यान अधिकारी