आज नहीं रोकी जल बर्बादी तो कल मिट जाएगा हमारा भविष्य
शहर के अनूपशहर रोड स्थित संतोष इंटरनेशनल स्कूल में बुधवार को प्रधानाचार्य डा. भूपेन्द्र कुमार ने बच्चों को दैनिक जागरण में प्रकाशित संस्कारशाला का शीर्षक पढ़कर सुनाया।
बुलंदशहर, जेएनएन : शहर के अनूपशहर रोड स्थित संतोष इंटरनेशनल स्कूल में बुधवार को प्रधानाचार्य डा. भूपेन्द्र कुमार ने बच्चों को दैनिक जागरण में प्रकाशित संस्कारशाला का शीर्षक पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा कि हम बड़े स्वार्थी हो गए हैं। केवल अपने बारे में ही सोचते हैं। यदि हमारे पूर्वज भी ऐसा ही करते और केवल अपने ही बारे में सोचते तो शायद आज यह धरती हम सबके जीवनयापन के लायक नहीं रहती। इसलिए हमें चितन-मनन, मंथन करना चाहिए कि यदि हम आज जल नहीं बचाएंगे तो कल क्या होगा।
उन्होंने कहा कि जल का संतुलित उपयोग कर कल के लिए बचा सकते हैं। हम सब यह कहते-सुनते रहते हैं कि जल है तो जीवन है, लेकिन इसको समझते नहीं हैं, इसे समझना जरूरी है। दुनिया की जितनी आबादी है उसकी 18 प्रतिशत आबादी भारत में है, मगर, दुनिया में जितना जल है उसका केवल चार प्रतिशत जल ही भारत में है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी विकट स्थिति है। इसलिए हमें जल संरक्षण के मर्म को समझना चाहिए। अपने दैनिक कार्यो में हर पल जल संरक्षण का ख्याल रखना चाहिए। जैसे हमारे पूर्वजों ने हमें जीवन-यापन के लिए बेहतर जल युक्त धरती दी वैसे ही हम भी अपनी अगली पीढ़ी को बेहतर धरती देने के प्रति समर्पित रहें। अपने देश व समाज में सबसे ज्यादा सामाजिक आयोजनों में ही जल की बर्बादी होती है। इस गंभीर मुद्दे को लोग बहुत हल्के में लेते हैं। यह घोर चितनीय है। जल बचेगा तभी हमारा जीवन बचेगा इसलिए जल संरक्षण के प्रति समय व समाज का गंभीर होना अति आवश्यक है। जल को बचाने के लिए सरकार भी पहल कर रही है। जल बचाना किसी एक संगठन या व्यक्ति का नहीं बल्कि समूचे समाज की जिम्मेदारी है। कार्यक्रम का संचालक करते हुए स्कूल डायरेक्टर प्रशांत गर्ग बच्चों को संस्कारशाला के विविध पहलुओं से अवगत कराते हुए दैनिक जागरण का धन्यवाद किया। साथ ही सभी बच्चों से संस्कारों को समझने-सीखने व अपने जीवन में अपनाने और जल बचाने की अपील की। स्वार्थ से ऊपर उठें
आज के आधुनिक दौर में हम सब स्वार्थी हो गए हैं। केवल अपने बारे में ही सोचते हैं। जल की बर्बादी रोक कर कल को संवारना बेहद जरूरी है। जल संरक्षण, जीवन सरंक्षण है। लापरवाह मानसिकता को बदलकर हमें यह मर्म समझना चाहिए।
-अंशिका आने वाली पीढ़ी का सोचें
जल संरक्षण न हुआ तो हमारा भविष्य मिट जाएगा। केवल अपना नहीं बल्कि अपनी अगली पीढ़ी का भी सोचें। जल ही नहीं रहा तो फिर हमारे जीवन की भी कल्पना नहीं की जा सकती है। जल प्राकृतिक संसाधन है। इसको बनाया नहीं जा सकता है।
-सुहानी ज्ञान देने के ज्यादा अपनाने पर जोर
जल संरक्षण की दिशा में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हर कोई केवल ज्ञान देता है, पर, अपनाता नहीं है। इसलिए ज्ञान देने से ज्यादा अपनाने पर जोर हो तभी जल संरक्षण संभव है। जब हम खुद अपनाएंगे तो लोग देखा-देख सुधरेंगे।
-निष्कर्ष संतुलित पानी का करें प्रयोग
हम नलों को जरूरत पर ही खोलें। नहाने समय संतुलित पानी ही लें। बर्तन धोने के पानी को पौधों पे डाल दें। पीने में पहले आधा गिलास पानी ही उपयोग करें। बारिश के पानी का संचय करें।
-मोहम्मद वाहिद