अस्ताचलगामी भगवान सूर्य देव को व्रतियों ने दिया अर्घ्य
लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजन में शनिवार को श्रद्धालुओं ने रीति रिवाजों से छठ मइया की उपासना कर प्रसाद अर्पित कर पूजन किया। व्रतियों ने नहर के जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया। छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रती और श्रद्धालु अपने घरों से निकल कर गंग नहर घाट पर कार्यक्रम स्थल पर दोपहर से लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई।
बुलंदशहर, जेएनएन। लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजन में शनिवार को श्रद्धालुओं ने रीति रिवाजों से छठ मइया की उपासना कर प्रसाद अर्पित कर पूजन किया। व्रतियों ने नहर के जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया।
छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रती और श्रद्धालु अपने घरों से निकल कर गंग नहर घाट पर कार्यक्रम स्थल पर दोपहर से लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। व्रती और श्रद्धालु नए कपड़े पहन हल्दी का पौधा, साबुत पानी वाला नारियल, अरबी, सुथनी, गन्ना, शकरकंदी, सिघाड़ा लोबिया, मूली, सेब, संतरा, शरीफा बांस के टोकरें में रखकर पूजा स्थल पर पहुंचे। महिलाओं ने छठ महापर्व पर छठ मइया का अनुष्ठान करते हुए रोग मुक्ति, संतान प्राप्ति और सुख सौभाग्य के लिए आराधना की। छठ मइया के उपासना के बाद व्रतियों ने सूप में फल तथा अन्य सामग्री रख नदी किनारें सूर्य अस्त होने तक भगवान सूर्य की उपासना की । अस्त होते सूर्यदेव को व्रतियों ने अर्घ्य देकर भगवान सूर्य देव की उपासना की। छठ मैया के भजन और गीतों ने मन मोहा
छठ महापर्व पर नहर किनारे आयोजन कमेटी ने सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए सारी तैयारी पूरी करने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में छठ मइया के भजन कीर्तन का आयोजन कराया। विभिन्न गीतों और भजनों पर आस्था के सैलाब में जमकर डूबकी लगाई। व्रतियों ने छठ मइया के भजन कीर्तन से सारा माहौल भक्तिमयी हो गया।
कई व्रतियों ने जल में खड़ होकर आराधना की
बलीपुरा गंग नहर पर छठ महापर्व कार्यक्रम स्थल पर श्रद्धालु दोपहर से एकत्र शुरू होने हो गए। कोसी तथा परिक्रमा लगाने वाले भी कई व्रतियों ने छठ मइया की पूजा अर्चना करने के बाद भगवान सूर्यदेव की नहर के जल में उतर कर सूर्य अस्त होने तक घंटो आराधना करते हुए परिवार समाज और देश की मंगल कामना की। नहर में नहीं कराई बैरिकेडिग
छठ महापर्व कार्यक्रम के दौरान सूर्य देव को नहर किनारे अर्घ्य देने के लिए घाट पर नगरपालिका ने कोइ बैरिकेडिग की भी व्यवस्था नही कराई। जिससे व्रती और श्रद्धालु अपने आप को जैसे-तैसे संभाल कर भगवान सूर्य देव के उपासना के लिए नहर के जल में उतरे। बैरिकेडिग नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पडा।