Move to Jagran APP

130 डाक्टरों के जिम्मे 31 लाख लोगों का इलाज

सरकार मोटा धन खर्च कर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा कर रही है। लेकिन यहां मरीजों के बढ़ते बोझ और डाक्टरों की कमी से सरकारी अस्पताल हांफ रहे हैं। जिले के 31 लाख लोगों के इलाज की जिम्मेदारी मात्र 130 डाक्टरों के कंधे पर है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 11:57 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 06:23 AM (IST)
130 डाक्टरों के जिम्मे 31 लाख लोगों का इलाज

बुलंदशहर, जेएनएन। सरकार मोटा धन खर्च कर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा कर रही है। लेकिन यहां मरीजों के बढ़ते बोझ और डाक्टरों की कमी से सरकारी अस्पताल हांफ रहे हैं। जिले के 31 लाख लोगों के इलाज की जिम्मेदारी मात्र 130 डाक्टरों के कंधे पर है। सीएचसी पर चार-चार और पीएचसी को एक-एक चिकित्सक संभाल रहे हैं।

loksabha election banner

जिले की आबादी करीब 35 लाख है। इसमें करीब चार लाख की आबादी शहर में रहती है। जिला अस्पताल को छोड़कर देहात क्षेत्र की 31 लाख आबादी के लिए जिले में 13 सीएचसी, पांच ब्लाक पीएचसी, 48 एपीएचसी हैं। इन पर सरकार द्वारा 250 डाक्टरों के पद सृजित हैं, जबकि तैनाती मात्र 130 डाक्टरों की ही है। ऐसे में मरीजों की बढ़ती भीड़ से सरकारी अस्पताल हांफ रहे हैं। वैसे भी पिछले एक माह से संक्रामक सीजन चल रहा है और शहर से देहात तक वायरल का प्रकोप है। डाक्टरों की कमी चलते लोगों को सही उपचार नहीं मिल पा रहा है। आलम ये है कि किसी सीएचसी-पीएचसी पर फिजीशियन या सर्जन तक नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक सरकारी मानक एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक की तैनाती का है। लेकिन जिले में 24 हजार की आबादी पर एक डाक्टर का औसत आ रहा है। ऐसे में बेहतर इलाज का दावा बेमानी है।

सीएचसी-पीएचसी पर डाक्टरों की तैनाती का मानक

सीएचसी पर आठ डाक्टर होने चाहिए, इसमें बाल रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ, एनेस्थीसिया, सर्जन, पैथोलॉजिस्ट, फिजीशियन और चिकित्साधिकारी जरुरी हैं, लेकिन मौजूदा समय में सीएचसी पर चार-चार डाक्टर ही उपलब्ध हैं। पीएचसी पर 24 घंटे के लिए रोस्टर के तहत तीन डाक्टरों की तैनाती है, लेकिन वर्तमान में एक-एक डाक्टर ही इसको संभाल रहे हैं।

झोलाछाप डाक्टर उठा रहे फायदा

सीएचसी और पीएचसी पर डाक्टरों का टोटा है। साथ ही डाक्टरों का व्यवहार भी मरीजों के प्रति अच्छा नहीं रहता है। ऐसे में मरीजों को इलाज के बजाए वापस लौटा दिया जाता। देहात के परेशान और गरीब मरीज ऐसे में झोलाछाप के पास ही पहुंचते हैं। बुखार के सीजन को झोलाछाप ही भुना रहे हैं।

इन्होंने कहा.

विभाग के पास डाक्टरों की भारी कमी है। जितने उपलब्ध हैं उनसे ही सेवाएं सुचारू की गई हैं। शासन को कई बार पत्र भेज चुके हैं। मरीजों को इलाज मिलता रहे। इसके लिए समय-समय पर सीएचसी-पीएचसी का निरीक्षण किया जाता है।

डा. केएन तिवारी-सीएमओ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.