अक्टूबर माह से हर बार खराब होने लगती है जिले की आबोहवा
खेतों में पराली जलने उद्योगों के धुआं उगलने वाहनों की आवाजाही बढ़ने के कारण जिले की हवा में प्रदूषण का जहर घुलने लगा है। हवा की सेहत हर दीपावली के आसपास ज्यादा खराब होती है।
संवाद सहयोगी, बुलंदशहर : खेतों में पराली जलने, उद्योगों के धुआं उगलने, वाहनों की आवाजाही बढ़ने के कारण जिले की हवा में प्रदूषण का जहर घुलने लगा है। हवा की सेहत हर दीपावली के आसपास ज्यादा खराब होती है। प्रदूषण बढ़ने के कारण लोगों को सांस लेने तक में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना के कारण लोग पहले से ही परेशानी झेल रहे हैं और अब प्रदूषण की मार परेशान कर रही है। कोरोना लाकडाउन का कुछ फायदा हुआ हो या नहीं, लेकिन जिले की आबोहवा एकदम साफ हो गई थी, लेकिन अब जबसे अनलाक हुआ है तभी से एयर क्वालिटी इंडेक्स 150 से 250 के बीच बना हुआ है। हवा में घुल रहे जहरीले कणों के कारण लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। शनिवार को भी हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 167 पर बना रहा।
पराली और कूड़ा जलाने से बढ़ा प्रदूषण
जिले में एनजीटी और प्रशासन के तमाम निर्देशों के बाद भी कूड़ा और पराली जलाने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। हालांकि सेटेलाइट के माध्यम से पराली जलाने वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जा रहा है, लेकिन लोग बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं खुलेआम जल रहे कूड़े के कारण हवा का गुणवत्ता खराब हो रही है। प्रशासन लगातार कर रहा कार्रवाई
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पराली जलाने वालों पर सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। साथ ही लेखपालों को क्षेत्रों में कूड़ा जलाने वालों पर नजर रखने के लिए जिम्मेदारी दी गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमें भी फैक्ट्री और उद्योगों पर कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन अभी हालात काबू नहीं हो पा रहे हैं। धूल के कणों से लोगों की बढ़ी दिक्कतें
सीवर लाइन, सड़क निर्माण आदि कार्यों के चलने से हवा में धूल के कणों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। सर्दी का मौसम बढ़ने के कारण धूल के कण सतह पर जम रहे हैं। जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है और लोगों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं। सांस के रोगियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।