बेसहाराओं का सहारा महेपा जागीर के राजेश शर्मा
सिकंदराबाद के गांव महेपा जागीर निवासी समाज सेवी राजेश शर्मा निराश्रित व बेसहारा का सहारा बन हुए हैं। अनाथ बच्चों के लिए अनाथालय बनाकर उसमें शरण देकर उन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। तो वहीं कैंसर से पीड़ित मासूम के उपचार के लिए उसके माता पिता का सहारा बने हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। सिकंदराबाद के गांव महेपा जागीर निवासी समाज सेवी राजेश शर्मा निराश्रित व बेसहारा का सहारा बन हुए हैं। अनाथ बच्चों के लिए अनाथालय बनाकर उसमें शरण देकर उन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। तो वहीं कैंसर से पीड़ित मासूम के उपचार के लिए उसके माता पिता का सहारा बने हैं।
गांव महेपा जागीर निवासी राजेश शर्मा शुरू से ही समाज सेवा में जुटे हैं। दहेज उन्मूलन का बीड़ा उठाते हुए खुद बिना दहेज शादी की औरों को प्रेरित करते हुए मां समाज सेवा के नाम से संगठन बनाकर लोगों को जागरूक किया। बाल विवाह जैसे की कुप्रथा को रोकने के लिए विरोधों व धमकियों की परवाह किए बगैर अब तक 24 से अधिक बाल विवाह रूकवाए और ऐसे लोगों को जागरूक भी किया। गरीबों को जगह-जगह खाना खिलाने की जिम्मेदारी उठाई। ऐसे लोगों को खाना, कपड़े आदि का प्रबंध करना उनकी दैनिक दिनचर्या में है। काम के लिए बाहर जाने के दौरान बेसहारा व निराश्रितों की मदद से लिए अपनी माता कांति देवी के नाम से अनाथालय खोला। जहां ऐसे बच्चों को शरण दी। जिनके माता पिता की मौत के बाद रिश्तेदारों से प्रताड़ित होने अथवा देखभाल के अभाव में मारे मारे फिर रहे मासूम बच्चों को सहारा दिया। अनाथालय में अब तक जनपद व गैर राज्यों के अभिषेक, अंकित, युवराज, ध्रुव, पूजा, सोनम, दिपाली समेत 12 बच्चों को सहारा दिया गया है। अनाथालय में खाना, कपड़े, खेलकूद के साथ उन्हें शिक्षित बनाने का बीड़ा भी उठाया है। साथ ही आसपास के गरीब बच्चों को अनाथालय में लगने वाली कक्षाओं में किताबें आदि देकर शिक्षित करने का भी काम किया। छेड़छाड़ से आहत होकर आत्महत्या का प्रयास करने वाले पीड़िता को सहारा दिया। लगातार कई वर्ष तक पढ़ाई पूरी कराकर ग्रेजुएट बनाने के साथ उसे मैराथन धावक बनाया। जिसने 42 किमी मैराथन दौड़ में कई राज्यों के बीच हुई प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त किया। कई स्थानों पर पदक जीतकर जिले का नाम गैर राज्यों में नाम रोशन करने वाली युवती की गत दिनों शादी होने से परिवार खुश है। स्याना क्षेत्र के गांव बंसी निवासी कैंसर से पीड़ित मासूम विकास कुमार का निर्धन होने के कारण उपचार में असमर्थ उसके माता पिता का सहारा बने। अब विकास का उपचार उनके ही सहयोग से चल रहा है। ककोड़ निवासी अनाथ प्रशांत, अमन, वंश पर बकाया बिजली बिल होने से उसका बिजली काट दी गई। पढ़ाई प्रभावित होने की सूचना पर छह माह का बकाया बिजली का भुगतान किया। जब भी कोई मदद से लिए कॉल अथवा संदेश आता है, वे जनपद हो गैर जनपद, वहां पहुंचकर उसकी पीड़ा जानकर उसकी समस्या का समाधान करते हैं।
महाराष्ट्र में झुग्गी को गोद लेकर बच्चों को किया शिक्षित
समाज सेवा के कार्य में खर्च होने वाली धनराशि के कृषि समेत निजी कार्य से जुड़े। वर्ष 2020 में महाराष्ट्र के पुणे शहर में निजी कंपनी में नौकरी करते हुए किराये पर रहे। जहां पास ही एक झुग्गी को गोद लेकर गरीब परिवारों की आर्थिक मदद की, उनके बच्चों को जब तक रहे तब तक पढ़ाया। इसके लिए उन्हें मराठी भी सिखनी पड़ी। छह माह तक उन्हें शिक्षित किया।
क्या कहते हैं राजेश शर्मा
दूर नहीं मां करीब से मिलूंगा, तू इंतजार कर मां हर गरीब से मिलूंगा। मां से मिली शिक्षा को लेकर वह निराश्रित व बेसहाराओं की मदद कर रहे हैं। ऐसे मासूम, बुर्जुगों जिनके साथ कोई नहीं उनके साथ वह खुद खड़े हैं। ऐसे लोगों की मदद करने से जब खुशी मिली है, जब उनके चेहरे पर मुस्कराहट दिखाई देती है। यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। जब भी कोई निराश्रित व बेसहारा का संदेश मिलेगा, वे उसकी मदद को हमेशा तत्पर रहेंगे।